उत्तराखंड देहरादूनNag devta temple in sureu village

देवभूमि का सुरेऊ गांव, यहां लोगों पर सांप के काटे का असर नहीं होता..यहां पूजे जाते हैं नागदेव

सुरेऊ गांव के 60 परिवारों में नाग देवता की पूजा की परंपरा सदियों से चली आ रही है...

sureu village: Nag devta temple in sureu village
Image: Nag devta temple in sureu village (Source: Social Media)

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड...कहते हैं यहां कण-कण में देवता निवास करते हैं। यहां ऐसे कई गांव हैं जो कि आज भी विज्ञान के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं। कई जगह तो आस्था के सामने विज्ञान भी नतमस्तक नजर आता है। देहरादून के विकासनगर में एक ऐसा ही गांव है सुरेऊ...इस गांव को कई लोग धरती का नागलोक भी कहते हैं। ऐसा क्यों है, ये रहस्य हम आपको आगे बताएंगे। कहते हैं इस गांव के लोगों पर जहरीले सांपों के काटने का कोई असर नहीं होता। गांव वाले कहते हैं कि उन पर नाग देवता का आशीर्वाद है। गांव में जब भी किसी को सांप काटता है तो लोग उसका इलाज कराने की बजाय सिर्फ नाग देवता का स्मरण करते हैं। ऐसा करते ही व्यक्ति ठीक हो जाता है। ये चमत्कार आज भी एक रहस्य बना हुआ है। आगे जनिए इस गांव के बारे में सब कुछ

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सुरेऊ गांव कालसी तहसील में स्थित है, जो कि जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के अंतर्गत आता है। यहां के लोग हर साल अगस्त में नाग देवता की उपासना करते हैं। तीन दिन का कठोर उपवास रखते हैं। वो कहते हैं कि सांप तभी काटते हैं, जब नाग देवता नाराज होते हैं। नागदोष से बचने के लिए गांव वाले अगस्त में विशेष पूजा अर्चना करते हैं। तीन दिन का उपवास रखकर नागदेवता को भोग लगाते हैं, इसके उपरांत व्रत खोला जाता है। सुरेऊ गांव के 60 परिवारों में ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहां नाग देवता का गुफा रूपी प्राचीन मंदिर है। कहते हैं जो कोई भक्त नागदेव की सच्चे मन से पूजा करता है, उसे नाग देवता दर्शन जरूर देते हैं। इस गांव में जब भी किसी को सांप काटता है तो लोग डॉक्टर के पास जाने की बजाय नाग देवता का स्मरण करते हैं। नागदेव का स्मरण करते ही जहर उतरने लगता है। गांव में एक पहाड़ी में नाग देवता का मंदिर है, जहां आस-पास के गांवों के लोग नाग देवता की पूजा के लिए आते हैं। अब गांव के लोग इस मंदिर और आस-पास के क्षेत्र को विकसित करने की मांग कर रहे हैं, ताकि गुफा मंदिर तक लोगों की पहुंच आसान बन सके।