उत्तराखंड पिथौरागढ़Children spent the night in a cave with their mother stuck in the snow

पहाड़ में बर्फबारी के बीच फंसे मां और दो बच्चे, गुफा में गुजारी रात..इस देवदूत ने बचाई जान

देवदूत बनकर आए बृजेश धर्मशक्तू ने बर्फबारी के बीच फंसी मां और बच्चों की मदद ना की होती, तो वो तीनों बच नहीं पाते...

Munsiyari: Children spent the night in a cave with their mother stuck in the snow
Image: Children spent the night in a cave with their mother stuck in the snow (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: पहाड़ में बारिश-बर्फबारी की शक्ल में आफत बरस रही, जिससे ग्रामीणों की जिंदगी थम सी गई है। मौसम राहत नहीं दे रहा। कई गांवों में रास्ते बंद हैं। गांवों तक जरूरत का सामान नहीं पहुंच रहा। पहाड़ में गिरी बर्फ पर्यटकों को आकर्षित करती है, पर यही बर्फबारी स्थानीय लोगों के लिए कितनी आफत लेकर आती है, इसकी एक बानगी पिथौरागढ़ में देखने को मिली। जहां मुनस्यारी के एक गांव में बर्फबारी से बचने के लिए महिला को गुफा में छिपकर रात बितानी पड़ी। महिला अकेली नहीं थी। उसके साथ दो बच्चे भी थे जो कि भूख-प्यास से बेहाल हो अपनी मां से चिपटे रहे। समय पर मदद ना मिलती तो इन लोगों की जान पर बन आती, पर शुक्र है कि तीनों सुरक्षित हैं। महिला का नाम कमला देवी है। वो समकोट गांव की रहने वाली है। कमला को किसी काम से मुनस्यारी जाना था। साथ में 15 साल का बेटा उमेश राम और 12 वर्षीय चंचल भी था। मंगलवार को तीनों समकोट से 14 किमी दूर गिनी बैंड तक पहुंच गए, लेकिन आगे बढ़ने पर तीनों ने देखा कि रातापानी से आगे का रास्ता बर्फ से पटा है।

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भारी बर्फबारी हो रही थी। सबकी अपनी-अपनी मजबूरियां होती हैं, इन तीनों की भी रही होंगी। इसीलिए तीनों बर्फबारी के बीच मुनस्यारी के लिए पैदल ही निकल पड़े, जो कि 30 किलोमीटर दूर था। पूरे रास्ते में दो फीट से ज्यादा बर्फ पड़ी हुई थी। किसी तरह तीनों बिटलीधार पहुंच गए। वहां मां ने एक गुफा में रुकने का फैसला किया। रात का तापमान माइनस 6 डिग्री से कम था। तीनों बिना कुछ खाये-पीये गुफा में ठिठुरते रहे। बुधवार सुबह जब तीनों गुफा से बाहर निकले तो बच्चों की हालत खराब हो गई। उनकी तबीयत बिगड़ते देख मां ने मदद के लिए शोर मचाना शुरू कर दिया। महिला की आवाज सुनकर इको पार्क में रहने वाले बृजेश सिंह धर्मशक्तू मौके पर पहुंचे और तीनों को कैंप में ले आए। बृजेश ने तीनों को प्राथमिक उपचार दिया। उन्हें खाना खिलाया। तबीयत संभलने पर तीनों को उनके रिश्तेदार मोहन के घर पहुंचाया। शुक्र है कि हमारे समाज में बृजेश जैसे लोग भी हैं। जहां हमारा सिस्टम फेल हो जाता है, वहां पहाड़ के यही लोग देवदूत बनकर इंसानियत के प्रति अपना फर्ज निभा रहे हैं। कमला देवी ने बृजेश धर्मशक्तू का आभार जताया। महिला ने कहा कि अगर बृजेश ने उनकी मदद ना की होती तो वो तीनों बच नहीं पाते।