उत्तराखंड टिहरी गढ़वालDev singh changed their life by farming

पहाड़ के EX आर्मी मैन ने सब्जियां उगाकर पलायन को दी मात.. लाखों में हो रही कमाई

60 साल के रिटायर्ड फौजी देव सिंह ने उन लोगों को आईना दिखा दिया जो खेती-किसानी को घाटे का सौदा कहते हैं...

Farming: Dev singh changed their life by farming
Image: Dev singh changed their life by farming (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: पहाड़ में संसाधनों की कमी नहीं है, कमी है तो बस इन संसाधनों को सफलता में बदलने वालों की। पहाड़ के लोग अपने खेतों में फसल उगाकर मालिक की तरह जिंदगी बिता सकते हैं, पर हो रहा है इसका उल्टा। लोग गांव में रहने की बजाय शहर के धक्के खाने में वक्त बिता रहे हैं। और कहते हैं कि खेती-किसानी में कुछ नहीं रखा। जिन्हें सच में खेती घाटे का सौदा लगती है, उन्हें पूर्व सैनिक देव सिंह पुंडीर से सीख लेनी चाहिए। देव सिंह पुंडीर चंबा में रहते हैं। पहले वो सेना में थे, रिटायर हुए तो गांव लौट आए। चाहते तो आराम की जिंदगी बिता सकते थे, क्योंकि खर्चा चलाने के लिए पेंशन तो मिल ही रही थी। पर आराम से ज्यादा देव सिंह पुंडीर को अपने खेतों की चिंता थी। वो इन्हें बचाना चाहते थे। 60 साल की उम्र में भी पूर्व सैनिक नकदी फसलें उगा रहे हैं और इससे अच्छी कामाई भी कर रहे हैं। देव सिंह पुंडीर सिलकोटी गांव में रहते है, जो कि टिहरी से 20 किलोमीटर दूर है।

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देव सिंह सेना से 15 साल पहले रिटायर हो गए थे। एक साल तक खाली रहे। वो चाहते तो उन्हें दूसरी नौकरी आसानी से मिल जाती, पर उन्होंने करियर की दूसरी पारी के तौर पर खेती को चुना। अब वो अपने खेतों में सब्जियां उगाते हैं। जिससे उन्हें हर सीजन में एक से डेढ़ लाख रुपये तक की कमाई होती है। उनके गांव में सिंचाई के लिए पानी नहीं था, पर बरसाती पानी जमा कर देव सिंह ने इस परेशानी का हल भी ढूंढ लिया। देव सिंह अपने खेतों में टमाटर, राई, मूली, आलू, लहसुन और अदरक जैसी नकदी फसलें उगाते हैं। देव सिंह कहते हैं कि उनके पास दूसरी जॉब का विकल्प था, पर वो समय रहते ये बात समझ गए कि खेती ही हमारे गांवों और हमारी आर्थिकी का मुख्य आधार है। आज देव सिंह से प्रेरणा लेकर गांव के दूसरे लोग भी नकदी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। जिसमें उन्हें उद्यान विभाग की मदद भी मिल रही है।