उत्तराखंड देहरादूनSenji bhitoli corn village of uttarakhand

उत्तराखंड का ये गांव बन रहा है विदेशी सैलानियों की पहली पसंद, इसे नाम दिया Corn Village

भुट्टे की खेती ने इस गांव की तकदीर में चार चांद लगा दिए। पत्रकार मोहन भुलानी के फेसबुक वॉल से साभार एक खूबसूरत कहानी...

उत्तराखंड न्यूज: Senji bhitoli corn village of uttarakhand
Image: Senji bhitoli corn village of uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: सैंजी-भटोली, मसूरी (उत्तराखंड)। पहाड़ों पर हर गाँव की कुछ न कुछ खासियतें होती है, ऐसा ही एक गाँव है सैंजी-भटोली। जहां पर हर घर के सामने आपको मक्के के भुट्टे टंगे मिलेंगे, यही नहीं इस गाँव को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। मसूरी से करीब 16 किमी दूर है कॉर्न विलेज सेंजी और भटोली इसको इसकी यह नायाब पहचान मिली है इसक की अनूठी परंपरा की वजह से। सर्दियों के आने से पहले मक्के की फसल को सुखाने के लिए अपने घरों की दीवारों पर टांग देते हैं, इस इलाके में ऐसा सदियों से किया जा रहा है यह वहां की परंपरागत खेती का एक तरीका है लेकिन अब इस परंपरा को देखने और जानने के लिए सैलानी बड़ी संख्या में इस गांव में पहुंच रहे हैं। सेंजी गांव को अब कॉर्न विलेज के नाम से जाना जाता है ग्रामीण इलाके की रोजमर्रा की जिंदगी से रूबरू होने के लिए मसूरी आए पर्यटक इस गांव में जरूर पहुंचते हैं। खासतौर पर गाइड पर्यटकों को इस गांव में लेकर आते हैं। इसमें एक बड़ा योगदान वहां के स्थानीय निवासी कुंवर सिंह चौहान का भी है जो कि शहर में पढ़ाई करने के बाद अपने गांव लौटे। एक विदेशी महिला से उन्होंने शादी की जिसके बाद वहां विदेशियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ।

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विदेशी लोगों के आने का सिलसिला ऐसा चल पड़ा कि अब विदेशियों के साथ-साथ देसी सैलानी भी सेंजी गांव पहुंचते हैं। ये गांव मसूरी के पास एक नए डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है बिना किसी सरकारी मदद के सिर्फ और सिर्फ स्थानीय लोगों के प्रयासों से ऐसा संभव हो पाया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, घर के बाहर मक्के के दाने सूखने के लिए टांगे जाते हैं, ताकि अगली फसल की बुवाई के बीज तैयार किये जा सके। इस गांव में आपको घर के दरवाजे से लेकर खिड़की, छत की मुंडेर आदि सब जगह सिर्फ मक्के की भुट्टों की लड़ियां ही नजर आयेंगी। इस गांव में मक्के के अलावा, गेंहू, चावल ,सब्जियां आदि भी उगायीं जाती है। इस गांव में छोटी सी नहर भी है, जो गांव की खेती के काम आता है, साथ ही गांव में पानी की जरूरत भी पूरा करता है।