उत्तराखंड चमोलीMata sati anusuya fair begins in chamoli

देवभूमि..यहां माता सती की पूजा करने से होती है संतान प्राप्ति, मेले में पहुंचे सैकड़ों निसंतान दंपति

चमोली के माता अनुसूया मंदिर में निसंतान दंपति संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लेने आते हैं...

Chamoli: Mata sati anusuya fair begins in chamoli
Image: Mata sati anusuya fair begins in chamoli (Source: Social Media)

चमोली: देवभूमि उत्तराखंड...ये वो जगह है जिसने जीवन में निराश हो चुके लोगों को जीने की उम्मीद दी, उन्हें आध्यात्म का रास्ता दिखाया। यहां स्थित तीर्थ-धामों से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है, ये आस्था ही लोगों को उम्मीद देती है। ऐसे ही धामों में से एक है चमोली का माता अनुसूया मंदिर, निसंतान दंपति यहां संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लेने आते हैं। इन दिनों यहां संतानदायिनी दत्तात्रेय माता सती अनुसूया मेला आयोजित हो रहा है। मेले का शुभारंभ जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने किया। इस बार मंदिर में पूजा के लिए 335 बरोही यानि निसंतान दंपति ने रजिस्ट्रेशन कराया। चमोली के इस मंदिर से जुड़ी प्राचीन परंपराएं उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखाती हैं। मेले के शुभारंभ के अवसर पर दशोली ब्लॉक के बणद्वारा, खल्ला, सगर, देवल्धार और कठूड़ बहनों की पूजा की गई। पूजा के बाद देव डोलियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। अलग-अलग क्षेत्रों से देव डोलियां जयकारों के बीच मंदिर पहुंची, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। देव डोलियों को देखने के लिए लोग हजारों की तादाद में पहुंचे थे।

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मंदिर में पांच देव डोलियों की विधि-विधान से पूजा की गई। इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं विशेष हैं। कहते हैं कि जो निसंतान दंपति यहां पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें संतान की प्राप्ति जरूर होती है। पर्व के अवसर पर गांव के मंदिरों, सगर, बणद्वारा, देवल्धार, कठुड़ और खल्ला की देवी डोलिया मंदिर पहुंचती है। निसंतान महिला को मंदिर में रात्रि के समय होने वाले अनुष्ठान में हिस्सा लेना होता है। मान्यता है कि अनुष्ठान के बाद महिला को स्वप्न में फल दिखाई देता है, जिसका अर्थ है कि महिला को जल्द संतान प्राप्ति होगी। स्वप्न के बाद महिला अपने पति के साथ मंदिर के पास स्थित धारे से स्नान कर लौट आती है। कहते हैं यहां आने वाले निसंतान दंपति निराश होकर नहीं लौटते। इस बार भी मंदिर में सैकड़ों निसंतान दंपति पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे हैं।