उत्तराखंड देहरादूनKishor upadhyay on uttarakhand govt

‘उत्तराखंड की सोयी हुई विधानसभा को जगाने के लिए घड्याला लगाना पड़ेगा’-किशोर

किशोर उपाध्याय ने कहा कि ‘विधान सभा सोयी हुई है, लगता है, जगाने के लिये मंडाण या घडाल्या लगाना पड़ेगा’।

उत्तराखंड न्यूज: Kishor upadhyay on uttarakhand govt
Image: Kishor upadhyay on uttarakhand govt (Source: Social Media)

देहरादून: वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता और उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने वर्तमान में गतिमान उत्तराखंड विधान सभा सत्र को असफल, पैसे की बर्बादी वाला और देहरादून निवासियों के लिये कठिनाइयां पैदा करने वाला बताया। अपने गाँव पाली में 11 दिवसीय लोक देवताओं के पुन: जागरण-स्मरण कार्यक्रम में “बासा” करने के बाद श्री उपाध्याय ने कहा कि गाँव-ज़िला मुख्यालय और राज्य की राजधानी में Total dis connect है। उन्होंने कहा कि ‘जब हम उत्तरप्रदेश के अंग थे, राजधानी लखनऊ थी। आज राज्य बने 19 वाँ वर्ष चल रहा है, योजनायें थोपी जा रही हैं, जन सहभागिता शून्य है। विधान सभा में उन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हो रही, जिनसे राज्य जूझ रहा है। बेरोज़गारी लगातार बढ़ रही है। पलायन ने राज्य की कमर तोड़ दी है, गाँव ख़ाली हो रहे हैं, स्वास्थ्य सेवाएँ दूरबीन से देखने पर भी नहीं दिखाई दे रही हैं, सरकारी शिक्षा का बुरा हाल है’। उन्होंने आगे कहा कि ‘60 करोड़ लोगों को पानी पिलाने वाला राज्य पेयजल समस्या से जूझ रहा है, 90% निवासी प्रदूषित पानी पीने को अभिशिप्त हैं।जंगली जानवर लोगों को खा जा रहे हैं। बंदर, सुअर और नील गाय किसानों को बर्बाद कर दे रही हैं। विधान सभा सोयी हुई है, लगता है, जगाने के लिये मंडाण या घडाल्या लगाना पड़ेगा’। उन्होंने कहा कि ‘ऐसे विधान सभा सत्रों और सरकारों का क्या औचित्य है? जो राज्य के सरोकारों की पीठ दिखाने के शतुर्मुर्गी सोच से ग्रसित हों। वनाधिकार आन्दोलन उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के शिखर पुरुष इंद्रमणि बडोनी जी की जयन्ती 24 दिसम्बर को उनकी जन्मभूमि अखोड़ी से वनाधिकारों और राज्य के सरोकारों पर संघर्ष संकल्प लेगा’।