उत्तराखंड पिथौरागढ़youth built spices business for women self employment

देवभूमि के दाफिला गांव का बेटा..शहर छोड़ा, गांव में शुरू किया अपना काम..सैकड़ों लोगों को रोजगार

जो लोग नौकरी के लिए शहरों की तरफ ताकते हैं, उन्हें पिथौरागढ़ के चंचल मेहरा से सीख लेनी चाहिए

self employment: youth built spices business for women self employment
Image: youth built spices business for women self employment (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: पहाड़ में संसाधनों की कमी नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ इच्छाशक्ति की। जो लोग नौकरी के लिए शहरों की तरफ ताकते हैं, उन्हें पिथौरागढ़ के चंचल मेहरा से सीख लेनी चाहिए। 42 साल के चंचल मेहरा गुड़गांव में एमडीएच कंपनी में जॉब करते थे। वहीं उन्हें आइडिया आया कि क्यों ना पहाड़ में मसालों का उद्योग किया जाए। इरादा मजबूत था, चंचल गांव लौट आए और खुद का मसाला बिजनेस स्थापित किया। अपनी इच्छाशक्ति के दम पर चंचल मेहरा ने ना सिर्फ अपनी बल्कि गांव के सैकड़ों किसानों की तकदीर बदल दी है। उनके उद्योग में 26 किस्म के मसाले तैयार किए जाते हैं। चंचल ने गांव की 15 महिलाओं को रोजगार का अवसर दिया है, यही नहीं क्षेत्र के 417 किसानों को भी अपने साथ जोड़ा है। पिथौरागढ़ में एक दूरस्थ गांव है थल दाफिला, चंचल मेहरा इसी गांव में रहते हैं।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: मनचलों ने रोका छात्राओं का रास्ता, विरोध करने पर दी खुली धमकी
उन्होंने एमडीएच कंपनी में 16 साल तक मसाला ट्रेप की जॉब की, पर मन तो पहाड़ में ही लगा था। इसीलिए गांव लौट आए और फरवरी 2018 में छोटे स्तर पर मसालों का कारोबार शुरू कर दिया। चंचल मेहनती थे, उनकी लगन को देखते हुए जलागम ग्राम्या-दो परियोजना के उप निदेशक सीबी त्रिपाठी ने उन्हें प्रेरित किया और बड़े स्तर पर कारोबार करने की सलाह दी। चंचल को सलाह जंच गई। उन्होंने हनुमानगढ़ दाफिला में मसाला इकाई स्थापित की, जहां लक्ष्मी ब्रांड के मसाले तैयार किए जाते हैं। चंचल कहते हैं कि शुरुआत में हमें कच्चे माल की कमी हुई। तब उन्होंने अपनी पत्नी हेमा मेहरा के साथ आस-पास के गांवों का भ्रमण किया। किसानों को अपने साथ जोड़ने के प्रयास किए। प्रयास के अच्छे नतीजे निकले और देखते ही देखते थल, नाचनी के दर्जनों गांवों के 417 किसान उनकी मसाला इकाई से जुड़ गए। लक्ष्मी गृह उद्योग में हर दिन 80 किलो मसालों का उत्पादन किया जाता है, जिन्हें तैयार करने के लिए पहाड़ में मिलने वाली जड़ीबूटी तिमूर, मेथी दाना, काली मिर्च, लौंग, हरी इलायची, पीपली, बादयान और अलसी जैसे उत्पादों का इस्तेमाल होता है। चंचल मेहरा जैसे युवा रिवर्स पलायन की मिसाल बन दूसरे युवाओं को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहे हैं।