उत्तराखंड रामनगरElephant attack on bus five woman stuck and fight for save their life

हाथी के हमले में बाल-बाल बची महिलाओं की जान, सुनाई दहशत के 45 मिनट की दास्तान

हाथी ने बस पर हमला किया तो पुरुष यात्री को किसी तरह बस से निकल गए, पर 5 महिलाएं बस में ही फंसी रह गईं, फिर क्या हुआ यहां पढ़ें...

Elephant attack: Elephant attack on bus five woman stuck and fight for save their life
Image: Elephant attack on bus five woman stuck and fight for save their life (Source: Social Media)

रामनगर: रामनगर के चिमटाखाल में जंगली हाथी ने केमू की बस पर हमला कर दिया। हमले में एक शिक्षक की मौत हो गई। बस मे सवार दूसरे यात्रियों की भी जान पर बन आई थी, पर वो किसी तरह जान बचाने में कामयाब रहे। हाथी के हमले में बची 5 महिलाओं ने हमले की घटना के बारे में सिलसिलेवार जानकारी दी। दहशत की ये कहानी सुन आपके भी रौंगटे खड़े हो जाएंगे। महिलाओं ने बताया कि शनिवार की सुबह केमू की बस चिमटाखाल से होती हुई जा रही थी। चिमटाखाल से 4 किलोमीटर की दूरी पर हाथी ने बस पर हमला कर दिया। हाथी को देख बस मे सवार पुरुष तो किसी तरह बस से निकल गए, पर 5 महिलाएं बस में ही फंसी रहीं, वो बस से बाहर नहीं निकल पाईं। हाथी ने बस मे तोड़फोड़ शुरू कर दी। महिलाएं डरी-सहमी बस में ही फंसी रहीं। हाथी करीब 45 मिनट तक वहां रहा। उसने बस को पलटने की भी कोशिश की।

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बाद में दूसरे यात्रियों ने आग जलाई, शोर मचाया और किसी तरह हाथी को वहां से भगाया। तब कहीं जाकर डरी हुई महिलाएं बस से निकल सकीं। जिस वक्त हाथी ने बस पर हमला किया, बस में 18 सवारियां मौजूद थीं। इनमें 5 महिलाएं भी थीं। एक शिक्षक को छोड़कर बाकी पुरुष हाथी के हमले के बाद बस से उतरने में कामयाब रहे, लेकिन डरी हुई महिलाएं बस में ही रह गईं। वो हाथी के जाने का इंतजार करने लगीं। गुस्साए हाथी ने बस को पलटने की भी कोशिश की। यात्री पुलिस और इमरजेंसी नंबर पर कॉल करते रहे, पर मदद नहीं पहुंची। तब यात्रियों ने खुद आग जलाकर किसी तरह हाथी को वहां से भगाया। बस में सवार महिलाएं तो बच गई, पर बस में अचेत पड़े शिक्षक की मौत हो गई। मरने वाले शिक्षक का नाम गिरीश चंद्र पांडेय था। वो दो दिन की छुट्टी के बाद शनिवार को सल्ट स्थित जीआईसी जाने के लिए निकले थे, पर वहां पहुंच नहीं सके। हाथी के हमले में शिक्षक की मौत हो गई। इलाके में वन्य जीवों के हमले की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। स्थानीय लोग हाईवे पर एलिवेटेड पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, ताकि जंगली जानवर पुल के नीचे से इधर-उधर जा सकें। इससे यात्रियों के साथ-साथ वन्यजीव भी सुरक्षित रहेंगे।