उत्तराखंड देहरादूनStreet dog trained for bomb squad by uttarakhand police

उत्तराखंड पुलिस ने गली के कुत्ते को बनाया सुपरस्टार, विदेशी कुत्ते भी इसके आगे फेल हैं

स्ट्रीट डॉग ने साबित कर दिया कि सड़क पर घूम रहे कुत्ते सिर्फ आफत नहीं हैं, उनका भी बेहतर इस्तेमाल हो सकता है...

Street dog: Street dog trained for bomb squad by uttarakhand police
Image: Street dog trained for bomb squad by uttarakhand police (Source: Social Media)

देहरादून: जब से इंसानी सभ्यता का विकास हुआ है, तब से कुत्ते इंसान के साथ वफादार साथी की तरह मौजूद रहे हैं। इनकी वफादारी के किस्से मशहूर हैं, बात जब भरोसे-ईमानदारी की आती है तो लोग कुत्तों की वफादारी की मिसाल देते हैं। उत्तराखंड पुलिस को भी अब ऐसा ही वफादार साथी मिल गया है। अब पुलिस की मदद का जिम्मा ठेंगा पर होगा, जी हां इस कुत्ते नाम ठेंगा है, जिसे उत्तराखंड पुलिस की शान का खिताब मिला है। ठेंगा की उम्र महज 8 महीने है, लेकिन ये इतना फुर्तीला है कि देखने वालों एक नजर में अपना दीवाना बना लेता है। ठेंगा के दोस्ताना व्यवहार की भी खूब तारीफ होती है। ठेंगा के जरिए उत्तराखंड पुलिस के खाते में एक उपलब्धि भी दर्ज हुई है, दरअसल ठेंगा देश का पहला स्ट्रीट डॉग है, जिसे पुलिस में बकायदा शामिल कर लिया गया है।

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ठेंगा बहुत तेजी से सीख रहा है, उसके ट्रेनर भी इस बात से बेहद खुश हैं। ठेंगा को ट्रेनिंग देने का आइडिया आईपीएस संजय गुंज्याल का था। उनके निर्देश पर उत्तराखंड पुलिस ने देश में पहली बार किसी स्ट्रीट डॉग को पुलिस ट्रेनिंग दी, और अच्छी बात ये है कि ठेंगा सब कुछ बहुत जल्दी सीख भी रहा है। ठेंगा फुर्तीला है और डिमांडिंग भी कम है। अब तक पुलिस के डॉग स्क्वायड टीम में जर्मन शैपर्ड, लैबरा, गोल्डन रिटीवर जैसे विदेशी नस्ल के कुत्तों को रखा जाता था। जिनकी खरीद पर लाखों का खर्च आता था। इनकी ट्रेनिंग से लेकर रखरखाव में भी पुलिस को सालाना लाखों खर्च करने पड़ते थे, पर ठेंगा इस मामले में अलग है। उसे पुलिस ने गली से उठाया था। पिछले 6 महीने से ठेंगा की ट्रेनिंग चल रही है। ठेंगा को ट्रेनर इंस्पेक्टर कमलेश ट्रेनिंग दे रहे हैं। उन्होंने कहा की ठेंगा कई मामलों में विदेशी कुत्तों से बेहतर साबित हो रहा है। इसे पालने में खर्चा भी कम आ रहा है। कुल मिलाकर ठेंगा ने साबित कर दिया कि स्ट्रीट डॉग्स में भी कुछ बेहतर करने की संभावना है, वो हमेशा समस्या नहीं होते। फिलहाल ठेंगा की ट्रेनिंग चल रही है। कुछ समय बाद ठेंगा को सर्च ऑपरेशंस में इस्तेमाल किया जाएगा।