उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालb.mohan negi-great artist from Uttarakhand

पहाड़ के चित्रकार बी.मोहन नेगी के कला संसार को सहेजने की मांग, पौड़ी में हो आर्ट गैलरी

कविताओं में रंग भरने वाले चित्रकार बी.मोहन नेगी की दूसरी पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया गया, बुद्धिजीवियों ने उनके कला संसार को सहेजने की मांग की...

b.mohan negi: b.mohan negi-great artist from Uttarakhand
Image: b.mohan negi-great artist from Uttarakhand (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: एक चित्र हजार शब्दों की कहानी बयां करता है...शब्दों को कल्पना के संसार में कैसे ढालना है, ये उत्तराखंड के प्रसिद्ध चित्रकार बी.मोहन नेगी बखूबी जानते थे। 25 अक्टूबर साल 2017 को शब्दों में रंग भरने वाला ये चित्रकार इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गया। लंबे वक्त से बीमार बी.मोहन नेगी ने देहरादून के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। संस्कृति नगरी पौड़ी से ताल्लुक रखने वाले बी.मोहन नेगी भले ही इस संसार में नहीं हैं, पर वो अपने चित्रों और कलाकृतियों की जो अमूल्य धरोहर छोड़ गए हैं, वो आने वाली पीढ़ी का हमेशा मार्गदर्शन करती रहेगी। पहाड़वासी चित्रकार बी.मोहन नेगी की अमूल्य थाती को सहेजना चाहते हैं। इसके लिए पौड़ी में एक संग्रहालय बनाने की मांग भी की जा रही है, ताकि बी.मोहन नेगी की स्मृतियों को सहेजा जा सके। स्व. बी.मोहन नेगी की याद में स्व. बी.मोहन नेगी कला निधि न्यास की स्थापना की गई है। ये संस्था उनके कलात्मक संसार को सहेजने का काम कर रही है।

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कविताओं में रंग भरना, उन पर पोस्टर बनाना कोई आसान काम नहीं है। उत्तराखंड में इस विधा को जिंदा रखने का श्रेय चित्रकार बी.मोहन नेगी को जाता है। केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश-दुनिया के तमाम मशहूर रचनाकारों की कविताओं को स्व. बी मोहन नेगी ने रंगों से संवारा। उन्हें जीवनदान दिया। 26 अगस्त 1952 को देहरादून के चुक्खुवाला में जन्मे बी.मोहन नेगी मूलरूप से पौड़ी के पुंडोरी गांव के रहने वाले थे। पोस्ट ऑफिस में नौकरी के दौरान ही उन्होंने कविताओं को चित्रों में ढालना शुरू किया और जीवन के आखिरी पड़ाव तक ये साधना अनवरत जारी रही। बीते 25 अक्टूबर को उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर पौड़ी में विशेष कार्यक्रम हुआ। जिसमें केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की क्षणिकाओं पर स्व. बी मोहन नेगी की चित्रांकन पुस्तक ‘जीवन पथ में निशंक’ का विमोचन हुआ। गढ़वाली कवि और साहित्यकार नरेंद्र कठैत ने भी चित्रकार बी.मोहन नेगी पर ‘अब यी शब्द भी हमारा ईष्ट छन’ और ‘सृजन विशेष व स्मृति शेष बी. मोहन नेगी’ जैसी किताबें लिखी हैं। जिनमें बी.मोहन नेगी के जीवन के साथ-साथ उनके रचना संसार को समेटने का भी प्रयास किया गया है। साहित्यकार नरेंद्र कठैत ने कहा कि स्व. नेगी की रचनाओं को सुरक्षित रखने के लिए संग्राहलय बनाया जाना चाहिए, साथ ही उनके नाम पर लाईब्रेरी की भी स्थापना होनी चाहिए। पौड़ी के बुद्धिजीवी भी यही चाहते हैं। पौड़ी में आर्ट गैलरी बननी चाहिए ताकि बी. मोहन नेगी के पोस्टर चित्रों और कला के विभिन्न आयामों को सहेजा जा सके। बी. मोहन स्मृति न्यास की कोशिशें जारी हैं, पर सरकार और प्रशासन को भी इस तरफ ध्यान देना होगा।