उत्तराखंड अल्मोड़ाPine leaves will be grown uttarakhand

पहाड़ की ईशा..इंटर कॉलेज की छात्रा ने पिरूल से बनाई खूबसूरत टोकरियां, जमकर हुई तारीफ

जंगलों में लगने वाली आग के लिए बदनाम पिरूल का बेहतर इस्तेमाल कैसे करना है, ये हमें नन्ही ईशा से सीखने की जरूरत है...देखिए तस्वीरें

Ramgarh: Pine leaves will be grown uttarakhand
Image: Pine leaves will be grown uttarakhand (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: पिरूल को पहाड़ का दुश्मन कहा जाता है, पर पिरूल का बेहतर इस्तेमाल कैसे करना है, ये सीखना हो तो उत्तराखंड के खैरदा गांव चले आइए, जहां नवीं में पढ़ने वाली नन्ही ईशा पिरूल से ऐसे-ऐसे प्रोडक्ट तैयार कर रही है, जिनका कोई जवाब नहीं। ईशा द्वारा पिरूल से बनाई टोकरियां बेहद खूबसूरत हैं, साथ ही टिकाऊ भी। खेल-खेल में इस बच्ची ने पिरूल से ऐसी खूबसूरत टोकरियां बनाई हैं, जो कि पॉलीथिन का विकल्प बन सकती हैं। इससे पर्यावरण बचेगा, साथ ही पिरुल आजीविका का साधन भी बन जाएगा। यहां हम आपको ईशा के बारे में बताएंगे साथ ही उसकी बनाई पिरूल की टोकरियों की तस्वीरें भी दिखाएंगे। ईशा की कलाकारी ने हमारा दिल जीत लिया, उम्मीद है आपको भी उसकी बनाई टोकरियां जरूर पसंद आएंगी। नैनीताल और अल्मोड़ा जिले की सीमा से सटा है रामगढ़ ब्लॉक, इसी ब्लॉक में पड़ता है खैरदा गांव, जो शहरी चकाचौंध से कोसों दूर है। ईशा इसी गांव में रहती है। आगे देखिए तस्वीरें

  • देखिए खूबसूरत तस्वीर

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    ईशा ल्वेशाल इंटर कॉलेज में नवीं की छात्रा है। ईशा पिरूल यानि चीड़ की पत्तियों से डलिया, टोकरियां बनाती है। उसकी बनाई डलिया की खूबसूरत बनावट देख आप भी हैरान रह जाएंगे। यही नहीं ईशा को पिरूल से कई चीजें बनाने में महारत हासिल है। ईशा के परिवार की दूसरी बच्चियां भी पिरूल से ऐसी ही सुंदर कलाकृतियां बनाती हैं। ईशा ने पिरूल से डलिया बनाना अपनी ताईजी से सिखा।

  • नवीं कक्षा की छात्रा हैं ईशा

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    पिरूल से बनी ये टोकरियां प्लास्टिक से बनी टोकरियों और दूसरे सामान का बेहतर विकल्प बन सकती हैं। इनका इस्तेमाल कर हम प्लास्टिक और पर्यावरण प्रदूषण से छुटकारा पा सकते हैं। यही नहीं पिरूल से कलाकृतियां बनाने वाले परिवारों को प्रोत्साहन दिया जाए तो ये रोजगार का अच्छा जरिया बन सकता है। इससे गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी साथ ही परंपरागत ज्ञान को सहेजा भी जा सकेगा।