उत्तराखंड Mountain women prabha devi who planted a forest

76 साल की प्रभा देवी सेमवाल, इन्होंने अपने दम पर बंजर पहाड़ को बनाया घना जंगल

प्रभा देवी ग्लोबल वॉर्मिंग के इको सिस्टम के बारे में बहुत कम जानती हैं, पर वो ये समझती हैं कि पेड़ लगाना, उनका संरक्षण करना कितना जरूरी है...

Mountain women: Mountain women prabha devi who planted a forest
Image: Mountain women prabha devi who planted a forest (Source: Social Media)

: प्रकृति, ग्लोबल वॉर्मिंग, पर्यावरण संरक्षण...ये कुछ ऐसे विषय हैं, जिन पर बातें तो खूब हो रही हैं, चिंता भी जताई जा रही है, पर धरातल पर काम बहुत कम हो रहा है। कभी किसी पेड़ को करीब से देखिए, ये जो हवा छोड़ते हैं, उसे इंसान ग्रहण करता है और इंसान जो कार्बनडाई ऑक्साइड छोड़ता है, उसे ये पौधे खुद में समा लेते हैं। जिस दिन हम पेड़ों से अपने इस रिश्ते को समझ जाएंगे, उस दिन किसी से पेड़ बचाओ, पेड़ बचाओ कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के एक छोटे से गांव में रहने वाली 76 साल की प्रभा देवी सेमवाल पेड़ों से इंसानों के इस रिश्ते को बखूबी समझती हैं। इस जीवट बुजुर्ग महिला ने अपने दम पर एक बंजर भूमि को हरे-भरे जंगल में तब्दील कर दिया है। प्रभा देवी को अपना जन्मदिन या जन्म का साल याद नहीं है, लेकिन वो अपने जंगल के हर पेड़ को अच्छी तरह पहचानती हैं। रुद्रप्रयाग के पसालत गांव में रहने वाली प्रभा देवी सेमवाल पिछले पचास बरस से जंगलों को सहेजने में जुटी है। दशकों की मेहनत के बाद आज इस महिला के पास अपना खुद का जंगल है, जिसे इन्होंने खुद उगाया, पाला-पोसा और सहेजा है। जंगल में पांच सौ से ज्यादा पेड़ हैं।

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बुजुर्ग प्रभा देवी की जिंदगी अपने खेत, जानवरों और पेड़ों के इर्द-गिर्द घूमती है। प्रभा बताती हैं कि सालों पहले अवैध कटाई के चलते जंगल का अस्तित्व खतरे में था। लोग घरों-दफ्तरों के लिए लकड़ी काट कर ले जाते थे, पर पौधे लगाने के बारे में कोई नहीं सोचता था। घटते जंगल की वजह से मुश्किलें बढ़ने लगीं, तब उन्होंने पेड़ लगाने की ठानी। खेतों में फसल बोने की बजाय उन्होंने क्षेत्र में पेड़ लगाने शुरू कर दिए। मेहनत रंग लाई और देखते ही देखते बंजर जमीन में हरियाली छा गई। प्रभा देवी के जंगल में इमारती लकड़ी से लेकर रीठा, बांझ, बुरांस और दालचीनी के पेड़ हैं। प्रभा देवी सेमवाल के बेटे और बेटियां विदेश में सेटल हैं। वो अपनी मां को साथ रखना चाहते हैं, पर जंगल से, अपने गांव से जुड़ी प्रभा कहीं और नहीं जाना चाहती। पेड़ों के संरक्षण के लिए 76 साल की प्रभा देवी ने संतानों के साथ रहने के सुख को भी छोड़ दिया। पहाड़ की ये बुजुर्ग महिला ग्लोबल वॉर्मिंग या जलवायु परिवर्तन के बारे में बहुत कम जानती है, पर वो ये समझती हैं कि हमें पेड़ों को बचाने की जरूरत है। और ऐसा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।