उत्तराखंड देहरादूनbjp leaders meet governor

उत्तराखंड में पहली बार, विपक्ष की शिकायत लेकर राजभवन पहुंचा सत्ता पक्ष

कांग्रेस के दुष्प्रचार से तंग आकर बीजेपी पदाधिकारियों को राज्यपाल की शरण में जाना पड़ा, उत्तराखंड के राजनैतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है...

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Image: bjp leaders meet governor (Source: Social Media)

देहरादून: आमतौर पर विपक्ष को सत्ता पक्ष से शिकायतें रहती हैं। विपक्ष अपनी शिकायतें लेकर राज्यपाल के पास जाता है, पर इस बार उत्तराखंड में कुछ अलग हुआ है। कांग्रेस की तरफ से लग रहे आरोप-प्रत्यारोपों से परेशान होकर सत्ता पक्ष के नेता राजभवन पहुंच गए। गुरुवार को सत्तारुढ़ बीजेपी ने विपक्षी दल कांग्रेस के खिलाफ राजभवन में दस्तक दी। प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की अगुवाई में बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और उनके सामने अपनी बात रखी। बीजेपी नेताओं ने कहा कि विपक्षी दल कांग्रेस, बीजेपी के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार कर रहा है, जिससे जनहित के कार्य बाधित हो रहे हैं। कांग्रेसी नेता जनहित में चल रही योजनाएं रुकवाना चाहते हैं, इसीलिए वो दुष्प्रचार में जुटे हैं। कांग्रेस पंचायत चुनाव आचार संहिता की आड़ में प्रदेश में चल रही 'मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना' को रुकवाना चाहती है, ये सही नहीं है, क्योंकि योजना आचार संहिता लागू होने से पहले ही शुरू हो गई थी। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात के दौरान कांग्रेस की तरफ से कराए जा रहे दुष्प्रचार के बारे में बताया। साथ ही बीजेपी का पक्ष भी रखा।

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उत्तराखंड के इतिहास में ये पहली बार हुआ है, जबकि विपक्ष नहीं, सत्ता पक्ष शिकायत लेकर राज्यपाल के पास गया है। इस दौरान बीजेपी पदाधिकारियों ने राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया, पर इस ज्ञापन में लिखी एक लाइन ने बीजेपी की किरकिरी करा दी। ज्ञापन में क्या लिखा था, ये भी बताते हैं। ज्ञापन के शुरुआती पैराग्राफ तक तो सब ठीक था, कांग्रेस पर जमकर आरोप मढ़े गए थे। पर दूसरे पैराग्राफ में लिखी लाइन 'इस क्रम में हम आपका ध्यान कांग्रेस सरकार के नवीनतम जनविरोधी कार्य व दुष्प्रचार की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं..।' ने बीजेपी की फजीहत करा दी। साफ था कि जल्दबाजी में किसी ने ज्ञापन को दोबारा पढ़ने की जहमत नहीं उठाई थी। बाद में प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने पत्रकारों के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इस वक्त पंचायत चुनाव चल रहे हैं, ऐसे में वो कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन नहीं कर सकते, इसीलिए उन्होंने अपनी बात राज्य के संवैधानिक प्रमुख के सामने रखी। कांग्रेस को बेनकाब करने के लिए ऐसा करना जरूरी था।