देहरादून: आधुनिकता की दौड़, सुख-सुविधाओं की दौड़ और रिटायरमेंट के बाद शहर में अच्छी जिंदगी जीने की दौड़...इस दौड़ में इंसान जिंदगी से कब पिछड़ जाता है पता ही नहीं चलता। हां...कुछ लोग होते हैं जिन्हें जिंदादिल कहा जाता है क्योंकि वो अपनी जड़ों को कभी भी नहीं भूलते। ऐसे ही जिंदादिल हैं उत्तराखंड की धरती पर जन्मे जनरल बिपिन रावत। आपको जानकारी तो होगी ही कि जनरल बिपिन रावत हाल ही में केदारनाथ और बदरीनाथ दर्शनों के लिए उत्तराखंड आए थे। अब जनरल ने ऐलान किया है कि वो रिटायरमेंट के बाद अपने गांव में ही रहेंगे। ये बात इसलिए खास है क्योंकि देश की सेना की चीफ को रिटायरमेंट के बाद भी खास सुविधाएं दी जाती हैं लेकिन जनरल रावत इन सुविधाओं को नकारने के लिए तैयार हैं। बदरी केदार दर्शनों के बाद बिपिन रावत अपने मामा के घर थाती धनारी पहुंचे हैं। वहां उनका फूल मालाओं से स्वागत हुआ।
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जनरल रावत का घर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में सैण बमरौली ग्रामसभा में पड़ता है। आपको बता दें कि जनरल रावत पहली बार अपनी पत्नी के साथ अपने ननिहाल थाती गांव गए। उनके ममेरे भाई नरेंद्र परमार गांव में ही रहते हैं। गंगा घाटी में बसा थाती गांव बेहद ख़ूबसूरत है। सेना प्रमुख और उनकी पत्नी ने अपने लोगों और अपने परिवार को गले लगाकर सत्कार स्वीकार किया। पारंपरिक पकवान स्वाले और दाल के पकोड़े बने थे, जिनका खूब आनंद उठाया गया। इस बीच सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कह दिया कि वो रिटायरमेंट के बाद अपने पैतृक गांव में ही रहेंगे। ये वास्तव में खाली होते उत्तराखंड से पलायन रोकने की एक सफल मुहिम साबित हो सकती है। जरा सोचिए...अगर तमाम लोग शहर को न चुनकर अपने गांव चले जाएं, तभी सुविधाएं भी गांवों तक पहुंचेंगी।