उत्तराखंड Dream of train in hills is becoming truth in Rishikesh

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल नेटवर्क: साकार हो रहा है पहाड़ में ट्रेन चलाने का सपना, देखिए

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना आकार ले रही है, न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का काम पूरा होने वाला है, जानिए प्रोजेक्ट की खास बातें...देखिए तस्वीरें

Railway project: Dream of train in hills is becoming truth in Rishikesh
Image: Dream of train in hills is becoming truth in Rishikesh (Source: Social Media)

: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना हर पहाड़वासी का सपना है। ये वो सपना है, जो बरसों की मेहनत के बाद अब साकार होने वाला है। परियोजना का काम तेजी से चल रहा है। ये प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल है। उत्तराखंड से पीएम नरेंद्र मोदी का विशेष लगाव रहा है, यही वजह है कि चाहे चारधाम ऑल वेदर हो या ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, इनके काम पर पीएम नरेंद्र मोदी खुद नजर रख रहे हैं। पीएम उत्तराखंड के चारधामों की यात्रा को सुगम बनाना चाहते हैं। इसीलिए इन तीर्थों को रेलवे लाइन से जोड़ने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के पहले रेलवे स्टेशन न्यू ऋषिकेश का काम लगभग पूरा हो गया है। 70 फीसदी काम हो गया है, बचा हुआ काम इस साल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।

  • ऋषिकेश से जल्द होगा ट्रेनों का संचालन

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    साल 2020 से न्यू ऋषिकेश से ट्रेनों का संचालन होने लगेगा। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन प्रोजेक्ट कई मायनों में बेहद खास है। प्रोजेक्ट के तहत ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच कुल 125 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई जाएगी।

  • 105 किलोमीटर लाइन सुरंग के अंदर

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    105 किलोमीटर रेल लाइन सुरंगों के भीतर रहेगी। न्यू ऋषिकेश से ट्रेनों के संचालन को देखना पहाड़वासियों के लिए किसी सपने के पूरा होने जैसा है।

  • ऋषिकेश में पूरा हो रहा है काम

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    ऋषिकेश में बनने वाले पहले स्टेशन का काम पूरा होने वाला है। काम तेजी से चल रहा है, चंद्रभागा नदी में ब्रिज निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। आपको बता दें कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक की दूरी 175 किलोमीटर है, जबकि रेलमार्ग 125 किलोमीटर होगा।

  • चारधाम यात्रा को मिलेगी मजबूती

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    इससे चारधाम यात्रा को मजबूती मिलेगी। ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु उत्तराखंड आएंगे। रेल परियोजना के जरिए सूबे के पांच जिले देहरादून, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी और चमोली आपस में जुड़ जाएंगे। साल 2024 तक प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाएगा।