देहरादून:
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सहूलियत कैसे आफत बन जाती है, ये देखना हो तो दून चले आईए। दो साल पहले दून में ई-रिक्शा सुविधा शुरू की गई थी। सोचा था इससे प्रदूषण कम होगा, लोगों को सुविधा मिलेगी, पर आज यही ई-रिक्शा शहर के लिए मुसीबत बन गए हैं। सड़कों पर फैले विक्रमों के जाल से लोग पहले ही आजिज आ चुके थे, रही-सही कसर ई-रिक्शा ने पूरी कर दी। ई-रिक्शा के चलते सड़कों पर हर वक्त जाम की स्थिति बनी रहती है। इन पर शिकंजा कसने के लिए बीती 28 अगस्त को एक आदेश जारी कर, मुख्य मार्गों पर इनके संचालन पर रोक लगा दी गई थी। पर हालात सुधरे नहीं। ई-रिक्शावालों की मनमानी जारी है। पुलिस और परिवहन विभाग भी इनके आगे बेबस नजर आ रहा है। शहर के हर मुख्य मार्ग और प्रमुख चौराहों पर ई-रिक्शा मुंह बाये खड़े रहते हैं।
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मुख्य मार्गों पर इनकी आवाजाही पर रोक लगी है, पर ये आदेश धरातल पर कभी उतरा ही नहीं। आरटीओ भी खामोश है। बात करें परिवहन विभाग के रिकॉर्ड की तो दून में 2,478 ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हैं। ई-रिक्शा के झुंड की वजह से लगने वाले जाम के चलते इनके लिए मार्ग निर्धारित कर दिए गए थे। 28 अगस्त को आदेश भी जारी हो गया था। जिसके अनुसार मुख्य मार्गों पर इनकी आवाजाही प्रतिबंधित है। पर आदेश का असर हुआ नहीं। कमेटी के फैसले के बावजूद मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा बेधड़क दौड़ते देखे जा सकते हैं। वहीं परिवहन अधिकारियों का कहना है कि कमेटी की बैठक मे पीडब्ल्यूडी विभाग को निर्देश दिए गए थे, कि मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा की आवाजाही बंद कराई जाए। जो ई-रिक्शा चालक नियम तोड़ेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए, पर विभाग आदेशों का पालन नहीं करा पाया। प्रतिबंधित मार्गों पर ई-रिक्शा की नो एंट्री के बोर्ड भी लगाए जाने थे। परिवहन विभाग ये भी नहीं कर सका। ई-रिक्शा की बेलगाम रफ्तार रोकने में परिवहन विभाग फेल रहा है। दून की सड़कों पर बड़ी संख्या में गैर-पंजीकृत ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। परिवहन विभाग और पुलिस भी इन पर नकेल कसने में नाकामयाब रही है।