उत्तराखंड उधमसिंह नगरEducated prisoners teaching illiterate prisoners in sitarganj jail

अच्छी खबर: उत्तराखंड की इस जेल में बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं बंदी

सितारगंज की जेल में बंद बंदी शिक्षा का पाठ पढ़ रहे हैं, शिक्षा ने इन्हे जीवन को नए तरीके से देखने का नजरिया दिया है.

sitarganj jail: Educated prisoners teaching illiterate prisoners in sitarganj jail
Image: Educated prisoners teaching illiterate prisoners in sitarganj jail (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: शिक्षक दिवस पर उत्तराखंड की एक जेल से शानदार खबर आई है। आज के दौर में ऐसे बच्चों की कमी नहीं, जो स्कूल को जेल समझते हैं, लेकिन उत्तराखंड की एक जेल, अब बंदियों के लिए स्कूल बन गई है। यहां पढ़ाने वाले भी बंदी हैं और पढ़ने वाले भी। इस जेल में निरक्षर बंदियों को अक्षर ज्ञान दिया जाता है, ताकि वो शिक्षित नागरिक बन सकें। भले-बुरे का भेद समझ सकें। ये जेल है सितारगंज की संपूर्णानंद जेल, जहां का नजारा दूसरी जेलों से एकदम अलग दिखता है। ये जेल निरक्षर बंदियों के लिए स्कूल है। जहां उन्हें दोबारा पढ़ने, साक्षर होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका मिला है। जेल के 12 कैदी इस वक्त बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। यहां जो साक्षर नहीं हैं, उन्हें अक्षर ज्ञान दिया जा रहा है, जो साक्षर हैं उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जेल में रोज कक्षाएं संचालित होती हैं। बंदियों को पढ़ाई के लिए हर सुविधा दी गई है।

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जेल में बंद 12 बंदी इस साल उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के जरिए बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे। सितारगंज की जेल में इस वक्त करीब 563 बंदी हैं। जिनकी उम्र 18 से 70 साल के बीच है। 400 बंदी ऐसे हैं, जो आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। जेल में बंद बंदियों के लिए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के तहत कक्षाएं संचालित की जाती हैं। जेल प्रशासन की कोशिशों के चलते आज अंगूठा लगाने वाले बंदी हस्ताक्षर करने लगे हैं, अपना नाम लिखना सीख गए हैं। कई बंदियों ने जेल में रहकर ही पढ़ना-लिखना सीखा। बंदियों को शिक्षित करने के लिए जेल प्रशासन ने उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी से मान्यता हासिल की है। पहली बार जेल के 12 बंदी बोर्ड परीक्षा देंगे। जेल प्रशासन की तरफ से उन्हें पढ़ाई मे मदद की जा रही है। जेल के 10 बंदी हाईस्कूल की परीक्षा देंगे, जबकि 2 बंदी इंटर की परीक्षा में बैठेंगे। जेल में ऐसे बंदी भी हैं जो कि ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं। निरक्षर बंदियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी इन्हीं बंदियो को दी गई है। बंदियों को साक्षर करने की मुहिम के शानदार नतीजे दिख रहे हैं। उनके नजरिए में बदलाव आया है, इस बदलाव से जेल प्रशासन भी खुश है।