उत्तराखंड Pm modi praises Uttarakhand mandua biscuits in mann ki baat

देवभूमि का अमृत: कुपोषण, एनीमिया और डायबिटीज की पक्की दवा है कोदा, PM मोदी ने भी की तारीफ

अपने पहाड़ में पैदा हुआ मंडुवा यानी कोदा 7 राज्यों में कुपोषण से जंग लड़ रहा है, जानिए मंडुवे के फायदे...

Mandua: Pm modi praises Uttarakhand mandua biscuits in mann ki baat
Image: Pm modi praises Uttarakhand mandua biscuits in mann ki baat (Source: Social Media)

: मंडुवा यानि कोदे का आटा, पहाड़ी खान-पान का अहम हिस्सा है। वो पहाड़ी ही क्या, जिसने कोदा-झंगोरा ना खाया हो। शहर की आपाधापी में भले ही लोग कोदा छोड़ गेहूं के आटे को अपना चुके हों, लेकिन पर्वतीय अंचलों में आज भी मंडुवे की खूब पैदावार होती है। ये अब भी लोगों के खान-पान का अहम हिस्सा है। पहाड़ का ये मोटा अनाज ना सिर्फ खाने में स्वादिष्ट है, बल्कि पौष्टिकता की खान भी है। यही वजह है कि मंडुवा अब कुपोषण से लड़ने का मुख्य हथियार बन रहा है। मंडुवे की डिमांड देश में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ने लगी है। बागेश्वर में बने मंडुवे के बिस्कुट उत्तराखंड के साथ-साथ दिल्ली, झारखंड, उड़ीसा, राजस्थान, और गुजरात भेजे जा रहे हैं। अकेले बागेश्वर जिले में बड़े पैमाने पर मंडुवे की खेती हो रही है। इस साल जिले में 1 लाख क्विंटल मंडुवा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। मंडुवे की पौष्टिकता का बखान पीएम नरेंद्र मोदी अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में भी कर चुके हैं। पिछले साल उन्होंने मन की बात कार्यक्रम में मां चिल्टा आजीविका स्वायत्त सहकारिता मुनार का जिक्र किया था। पीएम ने बताया था कि किस तरह गांववाले मंडुवे का उत्पादन कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं।

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जब पीएम ने लोहारखेत के किसानों का जिक्र अपने कार्यक्रम में किया तो राज्य सरकार भी हरकत में आई। मंडुवे के उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिशें तेज हो गईं। आज मंडुवे का आटा सिर्फ रोटी बनाने के लिए ही नहीं बल्कि केक, बिस्कुट, चिप्स और दूसरे कई फूड प्रोडक्ट बनाने के लिए इस्तेमाल होता है। देहरादून में मंडुवे के केक की खूब डिमांड है। मंडुवे के गुण जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। मंडुवे में 80 प्रतिशत कैल्शियम होता है, जो कि ऑस्टियोपोरोसिस से बचाने में मदद करता है। डायबिटीज रोगियों के लिए ये उत्तम आहार है। इसमें आयरन है, जो कि खून की कमी को दूर करता है। मंडुवे के नियमित सेवन से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। पहाड़ों में आज भी माताओं में दूध की कमी होने पर उन्हें मंडुवे की रोटी दी जाती है। मंडुवे के आटे का हलवा खिलाया जाता है, ताकि शरीर में पोषक तत्वों की कमी ना हो। मंडुवे का इस्तेमाल कुपोषण की निपटने में मददगार साबित हो सकता है। प्रदेश सरकार भी मंडुवे की खेती को बढ़ावा दे रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों में मंडुवे के बिस्कुट पोषाहार के रूप में दिए जा रहे हैं, ताकि कुपोषण को दूर किया जा सके।