देहरादून: जिंदगी है तो ख्वाब हैं, ख्वाब हैं तो मंजिलें हैं, मंजिलें हैं तो फासले हैं, फासले हैं तो रास्ते हैं, रास्ते हैं तो मुश्किले है, मुश्किलें हैं तो हौसला है, हौसला है तो विश्वास है...और विश्वास है तो जीत है। जावेद अख्तर साहब की लिखी ये पंक्तियां हर किसी की जिंदगी से वास्ता रखती हैं। वास्ता इसलिए क्योंकि बिना मेहनत जीत कभी नसीब नहीं होती, कोई यूं ही सर्वश्रेष्ठ नहीं कहलाता। एक ख्वाब हमने भी रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी से बुना था और भगवान केदारनाथ की कृपा रही कि पूरे उत्तराखंड ने हमें अपना आशीर्वाद दिया। राज्य समीक्षा सिर्फ एक सोच नहीं है बल्कि एक सपना है, जिसे हमने आंखें खोलकर देखा है। आज राज्य समीक्षा डॉट कॉम ने एक बार फिर से उत्तराखंड की मीडिया इंडस्ट्री में नए आयाम गढ़े हैं। सिर्फ 6 महीने के भीतर 1 करोड़ से ज्यादा पाठकों ने राज्य समीक्षा को पढ़ा..हमने कुछ गलत किया तो आपने फटकारा, हमने कुछ सही किया तो आपने हमारा हौसला बढ़ाया। अब जब 1 करोड़ से ज्यादा पाठकों के आशीर्वाद को पाने का सपना सच हो गया तो हम आपसे कुछ छुपाना भी नहीं चाहते और गूगल के आंकड़े आपके सामने रख रहे हैं...आगे देखिए