उत्तराखंड beleshwar mahadev of tehri garhwal

देवभूमि के बेलेश्वर महादेव, कहते हैं यहां से आज तक कोई खाली हाथ नहीं गया

कहते हैं बेलेश्वर महादेव वही जगह है, जहां भगवान शिव ने युधिष्ठिर को दर्शन दिए थे....आइए इस बारे में आपको बताते हैं।

उत्तराखंड न्यूज: beleshwar mahadev of tehri garhwal
Image: beleshwar mahadev of tehri garhwal (Source: Social Media)

: देवभूमि उत्तराखंड पर महादेव की असीम कृपा रही है। तभी तो इसे महादेव की धरती भी कहा जाता है। यहां महादेव के अनेक धाम हैं, इन्हीं में से एक है पौराणिक बेलेश्वर महादेव मंदिर। ये मंदिर टिहरी के केमर घाटी में स्थित है। श्रावण मास में यहां भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना होती है। पूरे महीने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इस मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हैं। इन्हीं में से एक कहानी पांडव भाई युधिष्ठिर से जुड़ी है। कहते हैं कि बेलेश्वर वही जगह है, जहां भगवान शिव ने पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को दर्शन दिए थे। बेलेश्वर में करोड़ों की लागत से एक विशाल मंदिर का निर्माण हुआ है, मंदिर का निर्माण चंदे की राशि से हुआ है, जिसे क्षेत्र के लोगों की मदद से जमा किया गया। घनसाली-चमियाला मोटर मार्ग पर स्थित इस मंदिर में सालभर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। आगे जानिए इस मंदिर की कहानी।

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कहते हैं त्रेतायुग में जब पांडव हिमालय के लिए प्रस्थान कर रहे थे। उस समय पांचों भाई और द्रौपदी बेलेश्वर मंदिर के पास रुक गए। तभी भगवान शिव ने युधिष्ठिर को भेल जाति के एक विचित्र मनुष्य के रूप में दर्शन दिए और पांडव भाईयों को बूढ़ाकेदार स्थित शिव मंदिर में रुकने का सुझाव दिया। तब से इस मंदिर को भेलेश्वर महादेव के रूप में पहचाना जाने लगा, जो कि अब बेलेश्वर हो गया है। पहले यहां पर प्राचीन मंदिर हुआ करता था। अब मंदिर भव्य रूप ले चुका है। यहां केदारनाथ में स्थित शिवलिंग की आकृति का शिवलिंग है। बेलेश्वर आने के लिए आपको टिहरी से घनसाली जाना होगा, जो कि टिहरी से 58 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। संतान प्राप्ति के लिए लोग इस मंदिर में दूर-दूर से आते हैं। कहते हैं कि मंदिर में रूद्रीपाठ रात्रि जागरण करने से लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है, उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए साल भर खुले रहते हैं।