उत्तराखंड रुद्रप्रयागSTORY OF RUDRAPRAYAG RUNNER VICHITRA SINGH

रुद्रप्रयाग जिले के किसान का बेटा, ऑल इंडिया मैराथन में जीता गोल्ड, बहुत-बहुत बधाई

रुद्रप्रयाग जिले के किसान का बेटा, ऑल इंडिया मैराथन में जीता गोल्ड, बहुत-बहुत बधाई

उत्तराखंड न्यूज: STORY OF RUDRAPRAYAG RUNNER VICHITRA SINGH
Image: STORY OF RUDRAPRAYAG RUNNER VICHITRA SINGH (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: पहाड़ की जिंदगी, पहाड़ जैसी चुनौतियों से भरी हुई है, लेकिन ये चुनौतियां यहां के युवाओं को तोड़ती नहीं, बल्कि उन्हें और मजबूत बनाती हैं। सुविधाओं के अभाव के बावजूद यहां के होनहार बच्चे खेल के क्षेत्र में नई-नई उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। इन उपलब्धियों पर गर्व भी होता है, साथ ही कभी हार ना मानने की सीख भी मिलती है। ऐसे ही होनहार खिलाड़ी हैं रुद्रप्रयाग में रहने वाले विचित्र सिंह। हाल ही में विचित्र ने ऑल इंडिया ओपन सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में 10 किलोमीटर मैराथन में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीता। ये केवल विचित्र या रुद्रप्रयाग के लिए ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। चैंपियनशिप का आयोजन दिल्ली में हुआ था। जिसे ऑर्गेनाइजेशन फॉर यूथ डेवलपमेंट ने आयोजित किया था। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित मैराथन में विचित्र सिंह ने ना केवल हिस्सा लिया, बल्कि गोल्ड मेडल भी जीता। विचित्र ने रेस 33 मिनट 24 सेकेंड में पूरी की। नेशनल स्तर की इस प्रतियोगिता में शामिल होने से पहले उन्होंने राज्यस्तरीय मैराथन में भी शानदार प्रदर्शन किया था। चंडीगढ़ में हुई राज्यस्तरीय मैराथन में भी विचित्र सिंह अव्वल रहे थे। चलिए अब इस होनहार खिलाड़ी के बारे में थोड़ा और जानते हैं।

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विचित्र सिंह रुद्रप्रयाग के हडेथीखाल में पड़ने वाले गांव चमस्वाड़ा के रहने वाले हैं। दौड़ना विचित्र सिंह का शौक नहीं, बल्कि जुनून है। अब तक वो राज्य स्तर की 11 मैराथन जीत चुके हैं। विचित्र सिंह एक किसान परिवार से आते हैं। उनके पिता वीरेंद्र किसान हैं और गांव में खेती कर किसी तरह गुजर-बसर करते हैं। वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि वो बेटे का सपना तोड़ना नहीं चाहते। विचित्र की दौड़ने में हमेशा से रुचि रही है। 18 साल की उम्र से वो राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहा है और अच्छा प्रदर्शन भी कर रहा है। बेटे को चंड़ीगढ़ और दूसरी जगहों पर भेजने के लिए वो काफी पैसा खर्च कर चुके हैं। विचित्र को आर्थिक मदद की जरूरत है, ताकि वो अपने खेल में सुधार कर सके, प्रैक्टिस कर सके। एथलेटिक्स में अच्छी ट्रेनिंग मिले तो वो 10 किलोमीटर दौड़ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता जीत सकता है। हाल ही में उसका चयन साल 2020 में मलेशिया में होने वाली इंटरनेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता के लिए हुआ है। पर उनके पास बेटे को मलेशिया भेजने के लिए पैसे नहीं हैं। विचित्र और उनके पिता वीरेंद्र ने सरकार के साथ ही सामाजिक संगठनों से मदद की अपील की है, ताकि विचित्र को अच्छी ट्रेनिंग मिले और वो राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकें।