उत्तराखंड earthquack in uttarkashi uttarakhand

उत्तरकाशी में भूकंप से दहशत, खतरा अभी टला नहीं..वैज्ञानिकों ने दी है बड़ी चेतावनी

एक बार फिर से उत्तरकाशी की धरती भूकंप से डोल गई और लोग दहशत में आ गए। लेकिन ये खतरा वास्तव में टला नहीं है।

उत्तराखंड न्यूज: earthquack in uttarkashi uttarakhand
Image: earthquack in uttarkashi uttarakhand (Source: Social Media)

: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बड़कोट में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। आज दोपहर ही यहां 3:42 बजे के करीब भूकंप के झटके महसूस किए गए। दहशत में लोग घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी बताया जा रहा है। लेकिन ये खतरा अभी टला नहीं है। 7 साल के भीतर करीब 20 बार उत्तरकाशी में भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। इससे पहले यहां 6 जुलाई को ही भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। उस दौरान भूकंप रात नौ बजे के करीब आया था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.1 मापी गई थी। तब भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी से पांच किलोमीटर दूर मिला था। उत्तरकाशी जिला भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन 4 और 5 में आता है। भूगर्भीय दृष्टी से ये सीमांत जिला बहुत संवेदनशील है। टैक्टोनिक प्लेट्स जिले के नीचे से होकर गुजर रही है, इनमें सामान्य हलचल होने पर भी भूकंप का खतरा बना रहता है। आगे पढ़िए

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20 अक्टूबर 1991 में उत्तरकाशी पहले भी भूकंप की तबाही से जूझ चुका है। उस वक्त यहां पर 6.8 तीव्रता वाला भूंकप आया था, जिसमें भारी तबाही हुई थी। भूकंप के दौरान 6 सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सैकड़ों मकान जमीन में समा गए थे।पिछले लंबे वक्त से यहां पर भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। बीते 7 सालों के भीतर यहां पर 18 से ज्यादा भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं, जिनकी तीव्रता 2.5 रही है। कुछ वक्त पहले ही वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान संस्थान की रिसर्च में बड़ी बात सामने आई थी। वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उत्तराखंड में 8 रिक्टर स्केल तक के भूकंप का खतरा है। जमीन के अंदर असीमित ऊर्जा पनप रही है। भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक के मुताबिक इस ऊर्जा का आंकलन किया गया है। इसके लिए साल 1968 से अब तक आए भूकंपों का अध्ययन किया गया। साथ ही कहा गया कि इंडियन प्लेट भूगर्भ में 14 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की रफ्तार से सिकुड़ रही है। इस वजह से ऊर्जा का अध्ययन करना जरूरी था।

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इस रिसर्च में उत्तरकाशी में 1991 में आए 6.4 रिक्टर के भूकंप, किन्नौर में 1975 में आए 6.8 रिक्टर स्केल के भूकंप और चमोली में 1999 में आए 6.6 रिक्टर स्केल के भूकंप के बारे में रिसर्च की गई। कहा गया है कि सारे छोटे बड़े भूकंपों को मिलाकर सिर्फ पांच फीसदी ऊर्जा ही बाहर निकली है। इसका मतलब है कि अभी 95 फीसदी भूकंपीय ऊर्जा भूगर्भ में ही जमा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ऊर्जा कब बाहर निकलेगी, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। इस परिणाम पर आया गया हैं कि हिमालय के क्षेत्र में कभी भी 8 रिक्टर स्केल का बड़ा भूकंप आ सकता है। इससे पहले भी हम आपको बता चुके हैं कि वैज्ञानिकों ने देहरादून और उत्तराखंड के लिए बड़ी चेतावनी दी थी। वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद कहा था कि देहरादून में भी एक भूगर्भीय प्लेट धधक रही है।