उत्तराखंड पिथौरागढ़PITHORAGARH TO DELHI UTTARAKHAND ROADWAYS BUS

दारू में टुन्न था उत्तराखंड रोडवेज का ड्राइवर, 30 यात्रियों की जान खतरे में..हुआ गिरफ्तार

दिल्ली से पहाड़ के लिए चली रोडवेज बस के ड्राइवर ने जमकर दारू पी ली,...पढ़िए फिर क्या हुआ...

उत्तराखंड: PITHORAGARH TO DELHI UTTARAKHAND ROADWAYS BUS
Image: PITHORAGARH TO DELHI UTTARAKHAND ROADWAYS BUS (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: उत्तराखंड की सर्पिली सड़कों पर बस चलाना आसान नहीं है। एक तो यात्रियों की सांस वैसे ही हलक में अटकी रहती है, उस पर अगर ड्राइवर नशे में धुत हो तो फिर बस भगवान भरोसे ही चलती है। पहाड़ में ये आम है और सच कहें तो यात्री भी ड्राइवरों की नशाखोरी के आदि हो चुके हैं। पहाड़ों में होने वाले सड़क हादसों में एक बड़ी वजह ड्राइवरों की शराब पीने की आदत भी है। रोडवेज इन्हें चेतावनी देता है, कार्रवाई भी करता है, पर ड्राइवर हैं कि सुधरने का नाम नहीं लेते। सोमवार को रामपुर की पिथौरागढ़ रोड पर शराबी रोडवेज ड्राइवर को पुलिस ने पकड़ लिया। अधिकारियों की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। पूरा मामला क्या है ये भी बताते हैं। सोमवार रात रोडवेज की बस दिल्ली से पिथौरागढ़ के लिए निकली थी। जैसे ही बस रामपुर में रुकी, ड्राइवर साहब को शराब की तलब सताने लगी। ड्राइवर ने रेस्टोरेंट में बैठकर जमकर शराब पी, उसके बाद ड्राइवर की हालत खराब हो गई। वो बस चलाने लायक नहीं रहा। वो तो भला हो बस कंडेक्टर का, जिसने अफसरों को तुरंत सूचना दे दी।

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रोडवेज ने हल्द्वानी डिपो से दूसरा ड्राइवर भेजा, तब कहीं जाकर बस दोबारा चल सकी। इस दौरान यात्री तीन घंटे तक रामपुर में ही बस चलने का इंतजार करते रहे। पता चला है कि रोडवेज प्रबंधन ने आरोपी संविदा ड्राइवर राजू कुमार को बर्खास्त कर दिया है। आरोपी ड्राइवर फिलहाल यूपी पुलिस की गिरफ्त में है। बता दें कि ऐसा ही मामला रविवार रात को भी सामने आया था। उस वक्त गुरुग्राम से चंपावत जाने वाली पिथौरागढ़ डिपो की बस का ड्राइवर नशे में धुत मिला था। बस में 30 सवारियां थीं, जिन्हें एक यात्री ने पूरी रात बस चला कर रुद्रपुर तक पहुंचाया था। इस मामले में ड्राइवर को सस्पेंड कर दिया गया है, कंडेक्टर को भी जानकारी छुपाने के लिए सस्पेंड किया गया है। रोडवेज बसों के ड्राइवरों के नशे में धुत होकर यात्रियों से बदसलूकी करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, पर अधिकारी ऐसे ड्राइवरों के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई नहीं करते। परिवहन अधिकारियों की सुस्ती और लापरवाही का खामियाजा आम यात्री भुगत रहे हैं।