उत्तराखंड lakhamandal temple uttarakhand jaunsar

देवभूमि का पवित्र धाम, जहां मृत्यु के बाद भी जीवित हो उठता था इंसान..देखिए वीडियो

कहते हैं कि इस मंदिर में आज भी मृत इंसानों को जिंदा करने की शक्ति है, ये मंदिर खुद में कई रहस्यों को समेटे हुए है..

उत्तराखंड: lakhamandal temple uttarakhand jaunsar
Image: lakhamandal temple uttarakhand jaunsar (Source: Social Media)

: किसी एक राज्य में अलग-अलग संस्कृतियों के दर्शन करने हों तो उत्तराखंड से बेहतर जगह शायद ही कहीं मिलेगी। धार्मिक मान्यताओं के लिए मशहूर उत्तराखंड में आज भी दैवीय चमत्कार देखने को मिलते हैं। यहां के मंदिरों को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसी ही अनोखी मान्यताओं वाला मंदिर है जौनसार-बावर में स्थित लाखामंडल मंदिर। कहते हैं कि इस मंदिर में लाते ही मुर्दे में भी जान आ जाती थी। मुर्दे उठ कर चलने लगते थे। आज भी माना जाता है कि लाखामंडल का ये मंदिर चमत्कारी शक्तियों का केंद्र है। लाखामंडल देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मूल रूप से ये भगवान शिव का मंदिर है। यहां स्वयंभू शिवलिंग और माता पार्वती की पूजा होती है। खुदाई के दौरान यहां कई प्राचीन शिवलिंग मिले थे। कहा जाता है कि मंदिर के दर्शन मात्र से ही इंसान के दुर्भाग्य खत्म हो जाते हैं। मंदिर में दो अलग-अलग रंग के शिवलिंग हैं। इन शिवलिंगों के बारे में भी जानिए…

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कहते हैं कि गहरे हरे रंग के शिवलिंग का संबंध द्वापर युग से है, जबकि लाल शिव लिंग त्रेता युग में प्रकट हुआ। मंदिर के अंदर एक चट्टान पर माता पार्वती के पैरों के निशान हैं। मंदिर परिसर में दर्जनो प्राचीन शिवलिंग और प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं। लाखामंडल का संबंध पांडवों से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि लाखामंडल वही जगह है, जहां दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह बनवाया था। यहां युधिष्ठर ने भगवान शिव का मंदिर बनाया था, इसकी शक्ति की वजह से ही पांडव लाक्षागृह से बाहर निकल पाए थे। वर्तमान मंदिर का निर्माण 8वीं सदी में हुआ। यहां एक चमत्कारी शिवलिंग भी है। कहा जाता है कि अगर इस शिवलिंग पर पानी डालते वक्त किसी को अपनी छवि दिखाई देती है तो उसके सारे कष्ट कट जाते हैं। उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। लाखामंडल को केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति माना जाता है। कहते हैं कि अगर किसी शव को मंदिर के द्वारपालों की प्रतिमा के पास रखा जाए, पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो मुर्दा इंसान कुछ वक्त के लिए जिंदा हो जाता है।

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जीवित होने के बाद वो ईश्वर का नाम लेता, गंगाजल ग्रहण करने के बाद आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है। यमुना नदी के तट पर स्थित ये मंदिर आज भी खुद में कई रहस्यों को समेटे हुए है। यहां हम आपको इस रहस्यमयी मंदिर का वीडियो भी दिखा रहे हैं...अगली बार आप जब भी उत्तराखंड आएं तो लाखामंडल जाना ना भूलें, प्रकृति की रहस्यमयी शक्तियों से साक्षात्कार का इससे बेहतर मौका आपको फिर नहीं मिलेगा।

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