देहरादून: पहाड़ के रहने वाले लोगों का एक बड़ा तबका दिल्ली और दूसरे महानगरों में रहता है। वहां काम करता है। इन लोगों का उत्तराखंड से दिल्ली और दिल्ली से उत्तराखंड आना-जाना लगा रहता है। ऐसे लाखों लोगों के सामने इस वक्त एक बड़ी मुसीबत मुंह बाए खड़ी है। भगवान ना करे कि ये सच हो। दैनिक जागरण के मुताबिक खबर मिली है कि उत्तराखंड रोडवेज की करीब 450 बसों की दिल्ली में एंट्री बैन हो सकती है। खबर में बताया गया है कि कि हाल ही में दिल्ली की AAP सरकार के परिवहन विभाग ने इस संबंध में एक लेटर उत्तराखंड सरकार को भेजा है। हैरानी की बात ये है कि अब तक उत्तराखंड परिवहन और दिल्ली परिवहन के बीच गाड़ियों की आवाजाही को लेकर समझौता नहीं हुआ है। जिसका खामियाजा इन बसों में सफर करने वाले भुगतने वाले हैं। दिल्ली परिवहन ने इस संबंध में उत्तराखंड सरकार को पत्र भेजा है। चलिए अब आपको ये भी बता देते हैं कि उत्तराखंड रोडवेज हर दिन कितनी बसों का संचालन दिल्ली के लिए करता है। उत्तराखंड रोडवेज के पास करीब 12सौ बसें हैं। हर दिन लगभग 400 बसें दिल्ली के लिए चलती हैं, जिनमें हर दिन तीस हजार यात्री सफर करते हैं। बसों की आवाजाही पर रोक लगी तो रोडवेज बसें केवल आनंद विहार तक ही जा सकेंगी। जो कि दिल्ली के बॉर्डर पर स्थित है। जो 400 बसें दिल्ली के लिए चल रही हैं। उनमें देहरादून मंडल की 250 बसें हैं, जबकि कुमाऊं मंडल की 150 बसें हैं। आगे पढ़िए...
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इनके अलावा 50 ऐसी बसें हैं, जिन्हें दिल्ली से होकर गुजरना पड़ता है। हर दिन सवा लाख यात्री रोडवेज बसों में सफर करते हैं। दिल्ली रूट के यात्रियों की संख्या 25 से 30 हजार तक रहती है। इस वक्त दिल्ली जाने वाली बसें कश्मीरी गेट तक जाती हैं। दिल्ली में उत्तराखंड रोडवेज बसों की एंट्री बैन होती है, तो इसका असर उन बसों पर भी पड़ेगा, जो कि दिल्ली से होकर दूसरे राज्यों तक जाती हैं। । अगर बसों का दिल्ली में प्रवेश बंद हुआ तो आनंद विहार बस अड्डे तक ही जा सकेंगी। जागरण की खबर में कहा जा रहा है कि दिल्ली परिवहन कभी भी उत्तराखंड की रोडवेज बसों की आवाजाही रोक सकता है। बता दें कि उत्तराखंड का हिमाचल, पंजाब और चंडीगढ़ से परिवहन करार हो चुका है, पर दिल्ली और हरियाणा से करार होना बाकि है। वहीं उत्तराखंड परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि वो दिल्ली सरकार से समझौते के प्रयास करते रहे हैं, लेकिन दिल्ली की तरफ से जवाब नहीं मिला। प्रयास चल रहे हैं, उम्मीद है दिल्ली से जल्द समझौता हो जाएगा। हम तो यही कहेंगे कि ऐसा जल्द ही होना चाहिए, वरना नतीजे उत्तराखंड के हक में नहीं होंगे। दिल्ली में उत्तराखंड रोडवेज की एंट्री बैन हुई तो लाखों यात्रियों को परेशानी होगी ही, साथ ही उत्तराखंड रोडवेज को भी बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।