उत्तराखंड dark tourism in kedarnath

श्रद्धांजलि: केदारनाथ आपदा में जिन लोगों ने जान गंवाई..उनकी याद में बनेगा स्मृति वन

केदारनाथ आपदा के दौरान कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। अब स्मृति वन आपदा में मारे गए लोगों की यादों को सहेजा जाएगा।

उत्तराखंड: dark tourism in kedarnath
Image: dark tourism in kedarnath (Source: Social Media)

: केदारनाथ में साल 2013 में आई प्राकृतिक आपदा भला कौन भूल सकता है। हजारों लोंगो को जलप्रलय ने लील लिया, गांव के गांव तबाह हो गए...केदारनाथ भले ही बदलाव के दौर से गुजर रहा है, लेकिन तबाही के निशान आज भी यहां बिखरे पड़े हैं। केदारधाम के आपदा प्रभावित इलाके को अब सरकार ‘डार्क टूरिज्म’ प्लेस के तौर पर विकसित करेगी। केदारनाथ में स्मृति वन बनेगा, जहां देश-दुनिया से आने वाले पर्यटक आपदा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देंगे, उन्हें याद करेंगे। आपदा के जख्म हर उत्तराखंडवासी के मन में अब भी हरे हैं, आज भी जब केदारघाटी में बिजली कड़कती है तो लोग डर से सहम जाते हैं। अब आपदा में मारे गए लोगों की यादों को संजोने के लिए सरकार केदारधाम में डार्क टूरिज्म को विकसित करने के प्रयास कर रही है। चलिए अब आपको ये भी बता देते हैं कि डार्क टूरिज्म है क्या...विदेशों के लिए डार्क टूरिज्म का कांसेप्ट नया नहीं है। इसके तहत त्रासदी या दिल दुखाने वाली घटनाओं के क्षेत्र को पर्यटन से जोड़ा जाता है।

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इसका सबसे सटीक उदाहरण न्यूयार्क में देखने को मिलता है, जहां आतंकवादी हमले के बाद ग्राउंड जीरो वाले स्थल को अमेरिका सरकार ने डार्क टूरिज्म के तहत विकसित किया। यहां अब लोग मृतकों को अपनी श्रद्धांजलि देने आते हैं। ऐसे कई उदाहरण सरकार के जहन में हैं। पर्यटन, संस्कृति और तीर्थाटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि इस संबंध में प्रदेश सरकार जल्द ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेगी। सरकार चाहती है कि केदारनाथ आने वाला हर व्यक्ति आपदा में मारे गए लोगों को याद जरूर करे, उन्हें श्रद्धांजलि दे। इस वक्त केदारनाथ में स्थित दिव्य शिला श्रद्धालुओं का ध्यान खींच रही है, ये वही शिला है जिसने साल 2013 में आई आपदा के वक्त पानी के सैलाब से मंदिर की रक्षा की थी। सरकार ने इसे दिव्य शिला के तौर पर अलग से हाईलाइट किया है। जिस मेडिटेशन केव में पीएम नरेंद्र मोदी ने ध्यान किया था, उसे देखने के लिए भी लोग आ रहे हैं। अब सरकार धाम में स्मृति वन बनाने जा रही है, जिसके जरिए आपदा में मारे गए लोगों की यादों को सहेजा जाएगा।