उत्तराखंड Jageshwar dham uttarakhand

ये है उत्तराखंड का पांचवा धाम..यहां जप करने से टल जाता है मृत्यु का संकट

इस धाम में सब कुछ अद्भुत है। आप भी भगवान का जलाभिषेक करने चले आइये...

जागेश्वर धाम: Jageshwar dham uttarakhand
Image: Jageshwar dham uttarakhand (Source: Social Media)

: देवभूमि के कण-कण में शिव बसते हैं, यही वो पावन भूमि है जिसे भगवान शिव ने अपना निवासस्थल बनाया, यहीं उन्होंने साधना की। इसी पावन धरा में कुमाऊं की गोद में बसा है प्राचीन जागेश्वर धाम जो कि केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि मंदिरों की नगरी है। ये मंदिर सैकड़ों साल पहले बने थे। इस धाम के बारे में कहा जाता है कि यहां महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से जीवन तो सुधरता ही है, मृत्यु भी टल जाती है। जागेश्वर मंदिर समूह प्राचीनता के साथ ही अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। ये धाम 125 छोटे-बड़े मंदिरों का समूह है। कहा जाता है कि जागेश्वर मंदिर कैलाश मानसरोवर यात्रा के प्राचीन मार्ग पर पड़ता है। ये शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख ज्योर्तिलिंग है। इसे उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में भी जाना जाता है। हर साल सावन महीने में यहां श्रावणी मेला लगता है जो कि 1 महीने तक चलता है। इसमें हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु हर साल यहां पहुंचते हैं।

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जागेश्वर धाम अल्मोड़ा से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां बने मंदिरों का निर्माण आठवीं से 10वीं शताब्दी के बीच कराया गया। मंदिरों के निर्माण का श्रेय कत्यूरी और चंद्र शासकों को जाता है, जो कि सैकड़ों साल पहले इस क्षेत्र पर राज किया करते थे। कहा तो ये भी जाता है जागेश्वर धाम में भगवान शिव ने तप किया था। उत्तराखंड की प्राचीन वास्तुकला कितनी समृद्ध थी ये जानना हो तो जागेश्वर धाम जरूर जाएं, यहां आने वाले श्रद्धालु कभी निराश नहीं होते। श्रावणी मेले में तो मंदिर के आस-पास की रौनक देखते ही बनती है। जिला प्रशासन भी सारे इंतजाम दुरुस्त कर देता है...तो अगर कोई खास प्लानिंग नहीं है तो जागेश्वर धाम के दर्शन जरुर करें, यकीन मानिए जागेश्वर की ये यात्रा आपके जीवन को बदल कर रख देगी।