उत्तराखंड टिहरी गढ़वालdocters did great job in uttarakhand

देवभूमि की DM सोनिका का शानदार काम..एम्स से हुई वीडियो कॉल, पहाड़ में हुआ मरीज का इलाज

वास्तव में ऐसा पूरे उत्तराखंड में ही होना शुरू हो जाए, तो पहाड़ के लोगों को इलाज के लिए शहर भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

उत्तराखंड: docters did great job in uttarakhand
Image: docters did great job in uttarakhand (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: कायदे से इस्तेमाल हो तो आधुनिक तकनीक के कई फायदे हैं, हाईटेक तकनीक का ऐसा ही फायदा मिला टिहरी के बौराड़ी में रहने वाले 58 साल के मरीज को...इस मरीज का इलाज ऋषिकेश एम्स के डॉक्टर ने किया, अब आप कहेंगे कि इसमें अलग बात क्या है, दरअसल अलग और अनोखी बात ये है कि मरीज का इलाज डॉक्टर ने वीडियो कॉल के जरिए किया...58 साल का ये मरीज टिहरी के जिला अस्पताल बौराड़ी में आया था, जिसका इलाज टेलीमेडिसिन कंट्रोल रूम की मदद से एम्स के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर ने किया। मरीज का नाम प्रताप सिंह है, जो कि माइग्रेन की बीमारी से पीड़ित था, तमाम जगह इलाज कराया लेकिन कहीं राहत नहीं मिली। तकलीफ बढ़ती गई तो परिजनों ने उन्हें बौराड़ी के अस्पताल में भर्ती करा दिया। इसके बाद पहाड़ में संचालित हो रही 555 सेवा के जरिए एम्स के न्यूरोलॉजिस्ट से मदद मांगी गई, और मदद मिली भी। एम्स के डॉक्टर ने वीडियो कॉल के जरिए मरीज प्रताप सिंह का इलाज किया और उसे दवाइयां दीं। चलिए लगे हाथ आपको सेवा 555 के बारे में भी बता देते हैं।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढें - उत्तराखंड में 12वीं पास युवाओं के लिए खुशखबरी.. सेना में अफसर बनने का शानदार मौका
ये सेवा टिहरी जिले के बौराड़ी अस्पताल में संचालित हो रही है, जिसकी शुरुआत का श्रेय जाता है यहां की जिलाधिकारी सोनिका को, जिन्होंने 20 जून 2017 को इस सेवा की शुरुआत की थी। दरअसल उनका मकसद दूर-दराज से आए मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराना था। पहाड़ के लोगों को इस सेवा का फायदा भी मिला है, भारत सरकार ने भी डीएम सोनिका की इस पहल की तारीफ करते हुए उन्हें अवॉर्ड से सम्मानित किया है। सेवा 555 के तहत दूर-दराज के गांवों में बने स्वास्थ्य केंद्रों में फार्मासिस्ट या आशाओं द्वारा मरीजों का संपर्क वीडियो कॉल के जरिए सीधे डॉक्टरों से करवाया जाता है। जिसके बाद डॉक्टर फार्मासिस्ट को बताता है कि मरीज को कौन-कौन सी दवाई देनी है। पहाड़ के ऐसे दुर्गम इलाके जहां आज भी मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं, उन क्षेत्रों के लिए ये सेवा किसी वरदान से कम नहीं है। तकनीक के इस्तेमाल से अगर किसी की जान बच सके तो इससे बेहतर कुछ और हो ही नहीं सकता...डीएम सोनिका की इस पहल की जितनी तारीफ की जाए कम है, पहाड़ का हर डीएम अगर ऐसा हो जाए, तो मरीजों को इलाज के लिए शहर-शहर नहीं भटकना पड़ेगा।