उत्तराखंड black monkey in uttarakhand

देवभूमि में यहां दिखा दुर्लभ काला बंदर, दुनियाभर के जीव वैज्ञानिकों के लिए खुशखबरी

पिथौरागढ़ की गोरी घाटी में दुर्लभ काले बंदर की प्रजाति मिली है। इनकी संख्या लगातार कम हो रही है, जो कि चिंता का विषय है।

उत्तराखंड: black monkey in uttarakhand
Image: black monkey in uttarakhand (Source: Social Media)

: जैव-विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड के विलक्षण पौधों के साथ अब यहां के बंदर भी सुर्खियां बटोर रहे हैं। पिथौरागढ़ जिले की गोरी घाटी में दुर्लभ काला बंदर नजर आया है, काला बंदर दिखने की ये खबर इसलिए खास है क्योंकि बंदरों की ये प्रजाति खतरे में है और लुप्त होने की कगार पर है। एक वक्त था जब इस क्षेत्र में काले बंदरों का राज चला करता था, लेकिन अब गोरी घाटी में इन बंदरों की संख्या मात्र 25 से 30 तक सिमट गई है, काले बंदरों के झुंड में बच्चों की संख्या भी कम है, यही वजह है कि अनुसंधान वृत्त ने बंदरों को बचाने के लिए प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव को पत्र भेजकर वैज्ञानिक आनुवांशिक अनुसंधान की जरूरत बताई है। पता चला है कि कुछ शोधकर्ताओं और वनाधिकारियों ने इन बंदरों को 1958, 2006 और 2011 में भी देखा है, लेकिन इन बंदरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कभी कोई योजना नहीं बनाई गई।

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जानकारी के मुताबिक वन अनुसंधान हल्द्वानी सर्किल की टीम 27 अप्रैल को रिसर्च के लिए पिथौरागढ़ के धारचूला गई थी। बंगापानी क्षेत्र में गोरी नदी के किनारे चिफलतरा, सिराड़ और पय्या के पास गुइयां नामक स्थान पर टीम ने सामान्य से अलग कुछ बंदरों को देखा। जब टीम ने इनके बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि ग्रामीण इन्हें काला बंदर कहते हैं। इस क्षेत्र में दिखे काला बंदर का आकार और बनावट सामान्य बंदर से अलग है। काले बंदर का आकार मध्यम, भूरा-सुनहरा रंग, ऊपरी और निचला भाग चॉकलेटी रंग का है। पूरे शरीर पर सफेद फर है। गोरी घाटी में ये बंदर 700 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर रहते हैं। काला बंदर सामान्य बंदरों से अलग सीधे, सरल और गंभीर स्वभाव के होते हैं। इनका मुख्य भोजन च्यूरा, गरुड़, केन व पियूली के पत्ते हैं। पहाड़ में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे काले बंदरों की ये प्रजाति संकट में है, इस दिशा में अभी और वैज्ञानिक रिसर्च की जरूरत है, ताकि इन्हें बचाने और इनके संरक्षण के लिए बेहतर कदम उठाए जा सकें।