उत्तराखंड देहरादूनStory of a doctor of srinagar garhwal

गढ़वाल में गजब हो गया.. दारू के नशे में डॉक्टर साहब थाने में जाकर सो गए!

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज किसी ना किसी बात को लेकर चर्चा में रहता है। ताजा मामला यहां के डॉक्टर से जुड़ा है।

उत्तराखंड: Story of a doctor of srinagar garhwal
Image: Story of a doctor of srinagar garhwal (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी अस्पतालों के हाल पहले ही बुरे हैं, मरीजों को अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलते और डॉक्टर साहब के पास इतनी फुर्सत है कि वो शराब पीकर थाने जाकर सो जाते हैं। मामला श्रीनगर का है...एक वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक... सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर साहब शराब के नशे में धुत होकर थाने पहुंच गए। थाने पहुंच कर भी डॉक्टर साहब का नशा नहीं उतरा, ये साहब थाने में गाड़ी लगा वहीं आराम फरमाने लगे। ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों ने जब गाड़ी के अंदर झांका तो गाड़ी में मौजूद आदमी ने उनसे चले जाने को कहा...इस बीच मौके पर मौजूद SI महेश रावत तुरंत ही मामले को समझ गए। पुलिस ने थाने में आराम फरमा रहे डॉक्टर साहब का ड्रंक एंड ड्राइव में चालान कर दिया, अगले दिन डॉक्टर के दो साथी थाने पहुंचे और नशेड़ी डॉक्टर को जमानत देकर अपने साथ ले गए।

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बताया जा रहा है कि ये साहब मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर हैं। बीती शाम वो शराब के नशे में इतने धुत हो गए कि कोतवाली को होटल समझ कर वहां आराम करने पहुंच गए। साहब ने कोतवाली में आराम से अपनी गाड़ी पार्क की और गाड़ी में ही सोने लगे। पुलिसकर्मियों ने देखा कि कोतवाली में गाड़ी तो आई है, लेकिन उसके भीतर से कोई बाहर नहीं आया। पुलिसकर्मियों ने गाड़ी में झांका तो उसमें डॉक्टर साहब नशे में धुत एक तरफ लुढ़के दिखाई दिए। आरोप ये भी है कि पुलिसकर्मियों ने उनसे कोतवाली आने की वजह पूछी तो वो लगे रौब गांठने और कहने लगे कि आराम करने आया हूं। नाइट ड्यूटी पर तैनात अफसर महेश रावत ने बड़ी मुश्किल से डॉक्टर साहब को गाड़ी से नीचे उतारा, और एल्कोमीटर से जांच कराई। तुरंत ही स्थिति भी साफ हो गई।

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पुलिस ने जब एल्कोमीटर से जांच कराई तो, जांच में डॉक्टर के नशे में होने की पुष्टी होने पर ड्रंक एंड ड्राइव का केस दर्ज करते हुए, पुलिस ने कार को सीज कर दिया। आरोपी डॉक्टर पर पहले भी ड्रंक एंड ड्राइव का केस दर्ज हो चुका है। बता दें कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स और कर्मचारियों की नशाखोरी के किस्से खूब मशहूर हैं। एक महीने पहले भी कॉलेज प्रशासन ने नशेड़ी अस्थायी कर्मचारी को ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर नौकरी से निकाल दिया था। बड़ा सवाल ये है कि जब सूबे के डॉक्टर्स के ही ये हाल हैं, तो भला ये मरीजों का क्या इलाज करते होंगे? पहाड़ में वैसे ही स्वास्थ्य सेवाओं की हालत पतली थी, सरकार अगर कुछ करने जा रही है, तो ऐसे डॉक्टर्स सरकार की कोशिशों पर भी पलीता लगा रहे हैं। देखना है कि आगे क्या होता है।