: इस दुनिया के उस पार भी एक दुनिया है और उस दुनिया की कहानियां जब भी सुनने को मिलती हैं तो मारे खौफ के कलेजा मुंह को आ जाता है। ऐसी ही एक कहानी उत्तराखंड के उस बंगले के बारे में भी कही जाती है, जिसे लोग आज भी भटकती आत्माओं का डेरा मानते हैं। इस बंगले के बारे में जो भी सुनता है उसकी रूह सिहर जाती है। चंपावत के लोहाघाट में मौजूद इस बंगले को ऐबी के तौर पर जाना जाता है। इस बंगले को गांव वाले शापित मानते हैं। रात तो क्या दिन में भी लोग इसके आस-पास जाने से डरते हैं। इस बंगले को साल 1905 में बनाया गया था। बंगले में अंग्रेज डॉक्टर मौरिस रहा करते थे। साल 1921 में इस बंगले को अस्पताल बना दिया गया, और इसके साथ ही बंगले से जुड़ी खौफनाक कहानियों की शुरुआत हुई। कहते हैं कि डॉ. मौरिस के पास रहस्यमयी शक्तियां थी, जिसकी बदौलत उन्हें किसी भी आदमी के मरने का दिन पहले ही पता चल जाता था।
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मरने से पहले लोगों को मुक्ति कोठरी नाम के कमरे में भेजा जाता था, जहां सचमुच उनकी मौत हो जाती थी। कहा तो ये भी जाता है कि डॉ. मौरिस लोगों के मरने की भविष्यवाणी करने के नाम पर उनके शरीर की चीर-फाड़ करते थे। ग्रामीणों के शरीर पर कई तरह के एक्सपेरिमेंट्स किए जाते थे, जिस वजह से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।कई लोगों की मौत के गवाह बने शापित बंगले से आज भी डरावनी आवाजें आती हैं। मुक्ति कोठरी में जान गंवाने वाले लोगों की आत्माएं आज भी यहां भटक रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दिन ढलते ही बंगले से चीख-पुकार की आवाजें आने लगती हैं। कई लोगों ने बंगले के आस-पास रहस्यमय साये दिखने की भी बात कही है। डरावने अहसासों के लिए मशहूर ये बंगला देश के दस मोस्ट हॉन्टेड प्लेसेज़ में से एक है।