उत्तराखंड नैनीताल329 jawan join indian army of kumaon regiment

कुमाऊं रेजिमेंट ने देश को दिया गौरवशाली पल, 329 जांबाज भारतीय सेना में शामिल

उत्तराखंड से देश की सेना को हर बार ऐसे जांबाज मिले हैं, जिन्होंने अपना सब कुछ देश की रक्षा में समर्पित कर दिया। इस बार 329 जवान देश की सेना में शामिल हुए हैं।

उत्तराखंड: 329 jawan join indian army of kumaon regiment
Image: 329 jawan join indian army of kumaon regiment (Source: Social Media)

नैनीताल: कहते हैं उत्तराखंड की जवानी उत्तराखंड के काम नहीं आती। हमें गर्व है कि उत्तराखंड की जवानी सिर्फ उत्तराखड नहीं बल्कि देश के काम आती है। देश की सरहदों की रक्षा करने के मामले में उत्तराखंड के वीर सपूत सबसे आगे हैं और इसका एक और उदाहरण देखने को मिला है। उत्तराखंड से भारतीय सेना को 329 नए जांबाज मिले हैं।
कुमाऊं रेजीमेंट मुख्यालय का सोमनाथ मैदान एक बार फिर से तैयार था। देश के कर्णधार अपने कंधों पर देशसेवा की जिम्मेदारी लिए कदम से कदम बढ़ा रहे थे। अंतिम पग रखते ही ये 329 वीर सपूत देश की सेना का हिस्सा बन गए। आपको बताते चलें कि कुमाऊं रेजीमेंट का इतिहास देश की सबसे पुरानी रेजीमेंट से भी जुड़ा है। 18वीं शताब्दी में कुमाऊं रेजीमेंट की बुनियाद पड़ी थी।

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यूं तो कुमाऊं रेजीमेंट का इतिहास 1788 से शुरू होता है। माना जाता है कि सन 1794 में इसका नाम रेमंट कोर था। 27 अक्टूबर 1945 को इस रेजीमेंट का नाम ‘कुमाऊं रेजीमेंट’ किया गया। कुमाऊं रेजिमेंट के आधिकारिक चिह्न पर शेर बना हुआ है, जो क्रॉस का निशान पकड़े हुए है। शेर को जंगल का राजा माना जाता है, इसलिए कुमाऊं रेजिमेंट के आधिकारिक चिह्न पर शेर दर्शाया गया है। ये कुमाऊं रेजीमंट की बहादुरी और जज्बे को दिखाता है। आज़ादी से पहले भी कुमाऊं रेजिमेंट के जवानों ने कई मौकों पर अपनी कुर्बानियां दीं। आंग्ल-नेपाल युद्ध, प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, मिस्र, मलय, बर्मा, कोरिया, हांगकांग, जापान, यूरोप हाइफा शहर के युद्धों में कुमाऊं रेजीमेंट के वीरों ने दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।

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एक बार फिर से कुमाऊं रेजीमेंट ने देश की सेना को 329 वीर जांबाज दिए हैं। सोमनाथ मैदान में धर्मगुरु ने गीता को साक्षी रखकर युवाओं को देश की आन, बान और शान की रक्षा में तत्पर रहने की कसम दिलाई। इस मौके पर मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल अमरीक सिंह (AVSM, SM, ADC) ने जांबाजों को देश के दुश्मनों के खात्मे को तैार रहने का आह्वान किया।
प्रशिक्षण के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले वीर रिक्रूट्स को पदक से सम्मानित किया गया। इस मौके पर सैनिकों के परिजन भी शामिल थे। किसी की आंखों में आंसू थे, तो किसी का सीना गर्व से फूल रहा था। देश के इन 329 जांबाजों को देशसेना का मार्ग चुनने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।