उत्तराखंड 10 things you will notice about pahadi people

उत्तराखंड में A फॉर Apple नहीं Army होता है...जानिए पहाड़ी लोगों की 10 दिलचस्प बातें

अगर आप पहाड़ी हैं..चाहे आप देश के किसी और राज्य में रह रहे हैं या फिर विदेशों में रह रहे हैं, तो आप ये 10 बातें कभी भी नहीं भूल सकते।

Pahadi people: 10 things you will notice about pahadi people
Image: 10 things you will notice about pahadi people (Source: Social Media)

: अगर आप पहाड़ी हैं, तो ये 10 बातें आपकी जिंदगी को उन पलों में ज़रूर ले जाएंगी...जब आप अपने गांव की गोद में रहते थे। चलिए 2 मिनट में वो खास बातें भी जान लीजिए।
कंडाली की झपाक
कंडाली...नाम सुनकर आज भी कई लोगों की कुछ पुराने दिन याद आ जाते होंगे। घर में कभी मां की मार खाई होगी, कभी गुरुजी की, कभी गलती से ही कंडाली को छू लिया होगा...तो वो झमनाठ आज तक याद होगा। पहाड़ी को कंडाली की पता नहीं ? सवाल ही नहीं उठता।
माल्टा, नारंगी और खटाई
सर्दियों की गुनगुनी धूप में छत पर बैठ जाना। माल्टे-नारंगी की फांहे अलग कर एक थाली में सजाना। उसके ऊपर घर में सिलवटे का पिसा हुआ नमक मिलाकर तैयार होती थी खटाई। एक बार खा लीजिए तो आत्मा तक तृप्त हो जाती थी।

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A फॉर Army
बेशक और सबूत के साथ...भारतीय सेना से गढ़वाल और कुमाऊं रेजीमेंट का रिश्ता बहुत पुराना है। आज भारतीय सेना में सबसे ज्यादा भर्ती होने वाले जवान पहाड़ से हैं। इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास होने वाले सबसे ज्यादा ऑफिसर्स देवभूमि से हैं। हमने बचपन से A फॉर APPLE नहीं A फॉर ARMY को जिया है।
‘चा’ का स्वाद
चाय..पिलाते रहो। एक के बाद एक गिलास..घपाघप। गांव के एक घर से दूसरे घर में जाओ तो चाय। चाय ही चाय पिलाते रहिए पर पहाड़ी तृप्त नहीं होता। वैसे भी चाय को पहाड़ में चाय नहीं ‘चा’ कहते हैं।
शादी-त्यौहार..मांगल और बेड़ु पाको
पारंपरिक वाद्य यंत्रों और मांगल से शादी-त्योहार की शुरुआत। ये तो लगभग हर पहाड़ी के खून में है। कहीं भी रह रहे हों, बेड़ु पाको गीत गुनगुनाए बिना आनंद ही नहीं आता। खास तौर पर शादी का मौका हो तो बेड़ु पाको पर कदम थिरकना तय है।

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काफल की वो मिठास
पहाड़ी होकर भी काफल का स्वाद आपको याद नहीं? शायद हो ही नहीं सकता। इसका स्वाद लगभग हर किसी की जुंबा पर होता है। अब तो काफल पहाड़ों से उतरकर शहरों में भी बिकने लगा है, ऐसे में पहाड़ियों की काफल पर पहुंची भी आसान हो गई है।
रोटना और अरसा
शादियों का सीजन, त्यौहार की सीजन...रोटने और अर्से का स्वाद। गजब का टेस्ट। आज शहरों में Cookies आ रही हैं और बच्चे उसे खाकर खुश होते हैं। पहाड़ के बच्चों के लिए टेस्टी, स्वास्थ्यवर्धक Cookies का काम रोटना और अरसा ने ही किया है।
बुंरास..बचपन का साथी
बुरांस के जूस का स्वाद तो कौन भूल सकता है। पहाड़ियों के लिए बचपन में रसना से बेहतर बुरांस ही रहा। फूलदेई के वक्त फ्योंली के साथ बुरांस जंगलों में खिले रहते हैं। उस दौरान पहाड़ की खूबसूरती देखने लायक होती है।

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बाल मिठाई-सिंगोरी..बचपन की चॉकलेट
बाल मिठाई और सिंगोरी से प्यार तो हर किसी को रहा है। आज भले ही हम कहीं भी रह रहे हों। बाल मिठाई और सिंगोरी का नाम सुनकर मंह में पानी ना आ जाए, ये हो नहीं सकता।
ट्विंकल-ट्विंकल नहीं घुघूती बासूती
गांव में अगर आपने अपना बचपन बिताया है, तो दादी-नानी के गीतों और कहानियों में घुघुती-बासुती ज़रूर होता था। हमारे लिए ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार से बेहतर घुघुती-बासुती रहा है। शहरों की भीड़ में आज भी अगर ये कहीं बजे, तो कदम ठिठककर रुक जाते हैं। वास्तव में हमारे बचपन की लोरियों, गीतों, किस्से, कहानियों मे ये बातें घुलीमिली हैं। इसलिए हम पहाड़ी हैं।