उत्तराखंड देहरादूनuttarakhand local body election info about sunil uniyal gama

उत्तराखंड निकाय चुनाव: क्या देहरादून का दिल जीतेंगे सुनील उनियाल गामा? जानिए

उत्तराखंड निकाय चुनाव के रण में सभी की निगाहें अब सुनील उनियाल गामा पर आ टिकी हैं। आइए उनके राजनैतिक सफर के बारे में जानते हैं।

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Image: uttarakhand local body election info about sunil uniyal gama (Source: Social Media)

देहरादून: सुनील उनियाल गामा..क्या इस बार वो बीजेपी के लिए गामा पहलवान साबित होंगे ? क्या बार वो बीजेपी को देहरादून नगर निगम में लगातार तीसरी जीत दिलाएंगे ? क्या देहरादून नगर निगम के रण में ये महारथी बीजेपी के लिए तुरुप का इक्का साबित होगा ? एक तरफ आम आदमी पार्टी की रजनी रावत और दूसरी तरफ सुनील उनियाल गामा। चुनाव का असली मज़ा तो इन दोनों प्रत्याशियों की जंग को देखने में आएगा। अब सवाल ये है कि सुनील उनियाल गामा की ताकत क्या है ? जबसे बीजेपी सत्ता में आई तो गामा के कद में भी तेज़ी से इजाफा होता गया। पार्टी के प्रति ईमानदारी, पर्वतीय मूल का होने की वजह से पहाड़ी लोगों के बीच मजबूत पकड़ और सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबियों में से एक हैं गामा। कई बार गामा सरकार के लिए संकटमोचक की भी भूमिका अदा कर चुके हैं।

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चाहे सफाई कर्मचारियों की हड़ताल हो या फिर टैक्सी संचालकों की हड़ताल, चाहे फिर वो अतिक्रमण हटाओ अभियान ही क्यों ना हो, कई बार गामा ने मीडिएटर बनकर सरकार की राह आसान करने का काम किया है। गामा की सबसे बड़ी मजबूती है पर्वतीय क्षेत्र के लोगों में उनकी मजबूत पकड़। ये वो वोट बैंक है, जहां गामा बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते हैं। साल 1989 में वार्ड अध्यक्ष के रूप में राजनैतिक सफर की शुरुआत करने वाले गामा की जिंदगी काफी तेज़ी से अलग अलग रंग दिखाती रही। 1991 में वो बीजेपी युवा मोर्चा के नगर महामंत्री चुने गए। साल 1995 में वो भारतीय जनता युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष बने। 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने। साल 2004 में उन्हें प्रदेश मंत्री की जिम्मेदारी मिली। 2007 में उन्हें बीजेपी महानगर उपाध्यक्ष और राजपुर विधानसभा का सह संयोजक बनाया गया। इस वक्त उनकी हैसियत बीजेपी प्रदेश मंत्री की है।

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मीडिया से बात करते हुए सुनील उनियाल गामा कहते हैं कि देहरादून की सबसे बड़ी खासियत उसकी सुंदरता है और वो उसे वापस लौटाएंगे। सुंदर दून-स्मार्ट दून पर फोकस गामा कहते हैं कि वो स्वच्छता, ड्रेनेज, लाइट और सफाई व्यवस्था पर काम करेंगे। पर्यटकों को भी देहरादून पसंद आना चाहिए और इस वजह से गामा मानते हैं कि एक अनुशासित शहर के रूप में देहरादून की पहचान बननी चाहिए। वैसे सुनील उनियाल गामा वो चेहरा भी हैं जो राम जन्म भूमि आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए जेल भी जा चुके हैं। यहां तक वो कश्मीर के लाल चौक पर झंडा फहराने भी गए थे। आरएसएस से वो लगातार जुड़े रहे हैं। कुल मिलाकर कहें तो बीजेपी ने इस बार गामा पर बड़ा दांव खेला है। उम्मीदें बहुत हैं और आने वाले वक्त ही तय करेगा कि देहरादून के निकाय की सत्ता का ऊंट किस करवट बैठता है।