उत्तराखंड पिथौरागढ़pithoragarh ajay fighting aginest child labour

पहाड़ का बेटा..अपने दम पर 700 गरीब बच्चों को पढ़ाया, खुद 3 साल से नंगे पैर चल रहा है

समाज को बदलना है, तो सबसे पहले खुद में ही बदलाव लाना होगा। गरीब बच्चों के हक के लिए लड़ने वाले पहाड़ के युवा अजय ओली का ये ही फसाना है।

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Image: pithoragarh ajay fighting aginest child labour (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: गर्व इस बात बात का है कि देवभूमि का ये बेटा उन बच्चों का पढ़ाई का जिम्मा खुद उठा रहा है, जो बेहद गरीब हैं और भीख मांगने के लिए मजबूर हैं। बीते तीन साल से पिथौरागढ़ के अजय शहर शहर दर शहर नंगे पांव घूम रहे हैं। नंगे पांव घूमना उस प्रतिज्ञा का हिस्सा है, जो अजय ने अपने आप से की है। जब अजय ने भीख मांगने वाले बच्चों को नंगे पैर चलते देखा, तो उन्होंने भी जूते-चप्पल पहनना छोड़ दिया। गरीब बच्चों को शिक्षित करना उनका जूनून है। गरीब बच्चों की पढ़ाई के साथ साथ रहने और खाने-पीने का खर्च वहन करना अजय की प्रतिज्ञा है। पिथौरागढ़ के बुंगाछीना के छोटे से गांव टांना के रहने वाले अजय ओली बचपन बचाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता बढ़ा रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि अब तक अजय 48 शहरों का भ्रमण कर चुके हैं।

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अजय मानते हैं कि देश में भले ही कानून सख्त हो, लेकिन आज भी कई बच्चे ऐसे हैं, जिनका बचपन मजदूरी की भेंट चढ़ा हुआ है। गर्व इस बात का है कि अजय साल 2015 से नंगे पैर यात्रा पर निकले थे। उन्होंने एक चाइल्ड सोसाइटी तैयार की और इस वक्त वो सात सौ बच्चों की पढ़ार्ई की जिम्मेदारी उठा रहे हैं। अजय का कहना है कि गरीब बच्चों को भीख देकर लोग गलत करते हैं। भिक्षावृत्ति से मुक्त भारत की कल्पना करने वाले अजय के सपने अब उड़ान भर रहे हैं। मूलरूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले अजय ने होटल मैनेजमेंट में मास्टर्स किया है। इसके बाद उन्होंने चाइल्ड लेबर पर रिसर्च करना शुरू किया। अजय ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी में 13 हजार से ज्यादा बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।

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बिना सरकारी मदद के काम कर रहे अजय जैसे युवा समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। राज्य समीक्षा की टीम की तरफ से अजय को हार्दिक शुभकामनाएं।