उत्तराखंड में वकील के खिलाफ ही जारी हुआ गैर जमानती वारंट, फेसबुक पर लिखी थी गंदी बात
उत्तराखंड में वकील के खिलाफ ही जारी हुआ गैर जमानती वारंट, फेसबुक पर लिखी थी गंदी बात
कपिल
17 Aug 2018
dehradun
1711
अगर आप अभी भी फेसबुक सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि ये खबर आपके लिए ही है। उत्तराखंड में एक वकील पर पहले 2 लाख का जुर्माना लगा और उसके बाद गैर जमानती वारंट भी जारी हुआ है। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कोर्ट ने कमर कस ली है। फेसबुक पर SC/ST आयोग के पूर्व सचिव के सम्बन्ध में अनाप शनाप पोस्ट अपलोड करने को लेकर एक वकील के खिलाफ न्यायालय ने गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। इससे पहले वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर करगेती पर कोर्ट ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने का दोषी मानते हुए 2 लाख रूपए का जुर्माना लगाया था। दरअसल कगरेती के खिलाफ साल 2016 में तत्कालीन SC/ST आयोग के सचिव और समाज कल्याण विभाग में कार्यरत एक अधिकारी जीआर नौटियाल ने मुकदमा दर्ज कराया था। 13 अगस्त को देहरादून एसएस एसटी स्पेशल कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। चंद्र शेखर कगरेती ने हाईकोर्ट में मुकदमा ख़ारिज करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए एक याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने करगेती को सोशल मीडिया पर अनाप शनाप लिखने, आपत्तिजनक पोस्ट करने और कोर्ट में झूठ बोलने का दोषी मानते हुए याचिका खारिज की और दो लाख का जुर्माना ठोक दिया था।
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कोर्ट में झूठ बोलने को लेकर कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा - "Sanctity of Affidavits need to be preserved & protected (हलफनामे की पवित्रता को संरक्षित और रक्षित करने की आवश्यकता है)"। इसके बाद 13 अगस्त को देहरादून SC/ST स्पेशल कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। देहरादून में वसंत विहार के SO हेमंत खंडूरी ने मीडिया को बताया कि कोर्ट के आदेशों के क्रम में एक टीम हल्द्वानी भेजी जा रही है। इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप लिखने को लेकर हाई कोर्ट के ही वकील पर 2 लाख का जुर्माना कर दिया था। सोशल मीडिया में बिना सोचे समझे बयानबाजी करने पर हाईकोर्ट के वकील चंद्रशेखर करगेती पर ये जुर्माना किया गया था। सोशल मीडिया पर कुछ लोग पिछले काफी समय से उत्तराखंड के अधिकारियों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे। इसमें हद तब हो गयी जब बयानबाजी में जाति-सूचक शब्दों का भी प्रयोग होने लगा।
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फेसबुक पर लगातार हो रही बयानबाजी से परेशान होकर एक अधिकारी ने साल 2016 में देहरादून के बसंत विहार थाने में शिकायत दर्ज करायी थी। इस शिकायत में लिखा गया था कि वकील करगेती सोशल साईट पर अधिकारी के विरुद्ध अभद्र और आपत्तिजनक टिपण्णी कर रहे हैं। पुलिस ने IT एक्ट, SC एक्ट और ST एक्ट के अंतर्गत करगेती पर मुकदमा दर्ज किया, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उत्तराखंड हाईकोर्ट में मामला पंहुचा तो इसकी जांच की गयी। जिसके बाद 8 अगस्त को कोर्ट ने सोशल मीडिया में बयानबाजी को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। हाई कोर्ट ने वकील करगेती को बिना किसी ठोस सबूत के सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और अभद्र पोस्ट करने का दोषी माना, फैसले में वकील चन्द्र शेखर करगेती पर दो लाख का जुर्माना लगा कर एक माह में ये जुर्माना जमा करने के आदेश दिये गये।