उत्तराखंड देहरादून173 illegal madrasas sealed in Uttarakhand

उत्तराखंड: अवैध मदरसों पर CM धामी का कड़ा एक्शन, डेढ़ महीने में 173 बंद.. कई की जांच जारी

राज्य में मदरसा शिक्षा बोर्ड के तहत 452 मदरसे पंजीकृत हैं। लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में जानकारी मिली है कि राज्य में 500 से अधिक मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।

illegal madrasas sealed: 173 illegal madrasas sealed in Uttarakhand
Image: 173 illegal madrasas sealed in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों अवैध मदरसों के खिलाफ लगातार कड़ा एक्शन जारी है। पिछले एक से डेढ़ महीने में पुलिस प्रशासन ने 173 अवैध मदरसे सील किए कर दिए हैं। साथ ही कई मदरसों की जांच की जा रही है।

173 illegal madrasas sealed in Uttarakhand

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड को किसी भी प्रकार की अवैध, असंवैधानिक और समाज को विभाजित करने वाली गतिविधियों का केंद्र बनने की अनुमति नहीं दी जाएगी। राज्य में मदरसा शिक्षा बोर्ड के तहत 452 मदरसे पंजीकृत हैं, जो अपनी सभी गतिविधियों का विवरण सरकार को प्रदान करते हैं। लेकिन सरकार द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में जानकारी मिली है कि राज्य में 500 से अधिक मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। इनका न तो मदरसा बोर्ड में पंजीकरण है और न ही ये अन्य आवश्यक मानकों को पूरा करते हैं।

बिना पंजीकरण संचालित मदरसे

इस परिप्रेक्ष्य में, सरकार ने मार्च महीने से अवैध मदरसों के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है। उत्तराखंड में पिछले डेढ़ महीने में 173 अवैध मदरसों को सील किया जा चुका है। सरकारी जांच के अनुसार, ये सभी मदरसे बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे थे वहीं कुछ की गतिविधियां संदिग्ध थीं। कई स्थानों पर न तो भवन निर्माण की अनुमति प्राप्त की गई थी और न ही शैक्षिक मान्यता और सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा था।

सबसे अधिक मदरसे इस जिले में हुए बंद

प्रदेश भर में अब तक सबसे अधिक मदरसे ऊधम सिंह नगर जिले में सील किए गए हैं। इसके अलावा यहां कई अवैध मदरसे जांच के दायरे में भी हैं। ऊधम सिंह नगर जिले में अब तक 65 मदरसे सील किए जा चुके हैं। देहरादून जिले में 44, हरिद्वार में 43, नैनीताल में 18, पौड़ी गढ़वाल में 02 और अल्मोड़ा जिले में 01 अवैध मदरसे सील किए जा चुके हैं। इसके बाद भी प्रशासन द्वारा अवैध मदरसों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है। इसके साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि क्या इन अवैध मदरसों को हवाला के जरिए वित्तीय सहायता मिल रही है।