बागेश्वर: उत्तराखंड के प्रसिद्ध वृक्ष प्रेमी किशन मलड़ा ने युवावस्था से ही पर्यावरण संरक्षण में अमूल्य योगदान दिया है। वे पिछले 41 सालों से निरंतर पौधारोपण का कार्य करते आ रहे हैं। जिस कारण अब उन्हें वृक्ष प्रेमी किशन मलड़ा के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अपने घर पर एक शोध वाटिका तैयार की है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने वर्ष 2018 में उन्हें 'वृक्ष पुरुष' की उपाधि से नवाजा था।
Vriksh Purush Kishan Malda planted 10 lakh Trees for Birds
वृक्ष प्रेमी किशन मलड़ा 67 साल की उम्र में भी पूरे जोश के साथ पेड़-पौधों की देखरेख करते हैं। उन्होंने अपने घर के आसपास की ढाई बीघा जमीन में देवकी लघु वाटिका नाम से एक खूबसूरत वाटिका बनाई है। इस लघु वाटिका में च्यूरा, लुकाट, रुद्राक्ष, चंदन, बांज, शिलिंग, अमरबेल, कपूर, पारिजात, बांस, रिंगाल और मूंगा रेशम जैसे लगभग 280 प्रजाति के महत्वपूर्ण पेड़-पौधे शामिल हैं। उन्होंने एक मूंगा रेशम की वाटिका भी तैयार की है, जिस पर कई शोध किए जा चुके हैं। विदेशी शोधकर्ता भी उनकी मूंगा रेशम वाटिका का भ्रमण कर चुके हैं। वर्तमान में बागेश्वर में होने वाले किसी भी सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक या प्रशासनिक कार्यक्रम में वृक्ष प्रेमी किशन मलड़ा को विशेष रूप से पौधारोपण के लिए आमंत्रित किया जाता है।
एक करोड़ पौधे लगाने का संकल्प
किशन मलड़ा बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही पेड़-पौधों के प्रति लगाव रहा है। उन्होंने बताया कि बचपन में वे एक वे अपनी माता के साथ जंगल गए थे जहाँ उन्होंने एक चिड़िया को घर लाने की जिद की, जिस पर उनकी माँ ने कहा कि उनके घर पर पेड़ नहीं है तो चिड़िया कहाँ रहेगी। उसके बाद उन्होंने अपनी माँ के साथ कुछ पौधों का रोपड़ किया। बचपन में उनके गांव में जल की कमी को देखते हुए भी उन्होंने पेड़-पौधे लगाने शुरू किए। वे बतातें हैं एक बार उन्होंने एक पीपल के पेड़ को जलते हुए देखा, तो उन्हें बेहद दुःख हुआ। उसके बाद उन्होंने पीपल समेत एक करोड़ पौधे लगाने का संकल्प लिया, जिनमें से अब तक वे 10 लाख पौधे लगा चुके हैं। उसके बाद सबसे पहले अपनी माता के नाम से एक नर्सरी शुरू की।
'वृक्ष पुरुष' की उपाधि
वृक्ष प्रेमी किशन मलड़ा को उनके कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वृक्ष प्रेमी किशन मलड़ा को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने वर्ष 2018 में उन्हें 'वृक्ष पुरुष' की उपाधि से नवाजा था इसके अलावा उन्हें 'मैं उत्तराखंड हूं" पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। किशन मलड़ा बताते हैं कि आज के समय उनके क्षेत्र के पशुधन में भी काफी वृद्धि हुई है, पशुओं के लिए चारे की भी उचित सुविधा है। साथ ही सिंचाई के लिए पानी की भी उचित सुविधा है।