देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने वन्यजीव तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए दो तस्करों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की गिरफ्तारी कालसी थाना क्षेत्र से हुई, जहां से उनके कब्जे से दो भालू पित्त और तीन जिंदा कारतूस (12 बोर) बरामद किए गए। एसटीएफ को यह सफलता वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो दिल्ली से मिली गुप्त सूचना के आधार पर मिली।
Two wildlife smugglers arrested with bear bile
पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ के निर्देशानुसार एसटीएफ प्रमुख एसएसपी नवनीत भुल्लर ने टीम को वन्यजीव तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। इसी कड़ी में 25 फरवरी को एसटीएफ की टीम ने कालसी-चकराता मार्ग पर जोहड़ी क्षेत्र में छापेमारी कर दो संदिग्धों को दबोच लिया।
संरक्षण अधिनियम में शामिल है भालू पित्त
पूछताछ में आरोपी तस्करों ने अपनी पहचान कलम सिंह चौहान पुत्र नारायण सिंह, निवासी ग्राम बनियाना, पोस्ट मिंडल, तहसील चकराता तथा संतु पुत्र खेंतु, निवासी ग्राम बनियाना, पोस्ट मिंडल, तहसील चकराता, हाल निवासी नया कालसी, देहरादून के रूप में की। बताते चलें कि भालू पित्त वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में शामिल है, जिसका शिकार करना और इसकी तस्करी करना गंभीर अपराध है।
ब्लैक मार्केट में है खासी डिमांड
दरअसल, भालू के पित्त का पारंपरिक औषधीय उपयोग होता है, हजारों वर्षों से पारंपरिक एशियाई चिकित्सा में भालू के पित्त का उपयोग किया जाता रहा है। इसमें उर्सोडेऑक्सीकोलिक एसिड (UDCA) की उच्च मात्रा होती है, जिसे लीवर और पित्ताशय की बीमारियों के इलाज के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। भालू पित्त वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में शामिल है, जिसके कारण इस पर पाबंदी है और ब्लैक मार्केट में खासी डिमांड।
अन्य तस्करों की भी तलाश जारी
एसटीएफ ने दोनों आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव अधिनियम और आर्म्स एक्ट के तहत कालसी थाना में मुकदमा दर्ज कराया है। एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ जारी है, और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है। वन विभाग से भी इस मामले में जानकारी जुटाई जा रही है। इस कार्रवाई में उत्तराखंड एसटीएफ व डब्ल्यू सीसीबी दिल्ली की टीम शामिल रही।