देहरादून: करवाचौथ एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है, इस व्रत की शुरुआत सूर्योदय से लगभग दो घंटे पहले सरगी खाने से होती है। इस दिन महिलाएं करवा माता भगवान गणेश और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा करती हैं।
Karwa Chauth 2024 Shubh Muhurat and Moon Rising Timing in Uttarakhand
करवाचौथ नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘करवा’ जिसका अर्थ है ‘मिट्टी का बरतन’ और ‘चौथ’ जिसका अर्थ है ‘चतुर्थी’ इस त्योहार में मिट्टी के बरतनों का विशेष महत्व होता है। विवाहित महिलाएं इस त्योहार का पूरे वर्ष बेसब्री से इंतजार करती हैं और इसे बड़े श्रद्धा और ध्यान के साथ मनाती हैं। करवाचौथ पति-पत्नी के बीच के गहरे संबंध, प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। आज करवाचौथ के दिन पूजा का समय शाम 5.46 बजे से शुरू होकर 7.02 बजे तक रहेगा। इस दौरान सुबह 06.24 बजे से 06.46 बजे तक भद्रा का साया रहेगा, लेकिन पूजा के समय भद्रा का प्रभाव नहीं होगा। सुहागिनों को चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करनी होगी और व्रत खोलने के बाद पति और बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
करवाचौथ पूजा की सामग्री और विधि
पूजा की थाली में आवश्यक सामग्री जैसे छलनी, आटे का दीया, फल, ड्राईफ्रूट, मिठाई और दो पानी के लोटे रखे जाने चाहिए। सुहागिनें जिस चुन्नी को पहनकर कथा सुनें, उसी को ओढ़कर चंद्रमा को अर्घ्य दें। छलनी में रखे दीये के माध्यम से चंद्रमा को देखें और तत्पश्चात अपने पति को भी उसी छलनी से देखें। चंद्रपूजन के बाद बायना (खाना, कपड़े और दक्षिणा) देकर अपने बड़ों को दें और फिर भोजन करें। इस दिन लहसुन-प्याज और तामसिक भोजन का सेवन न करें।