उत्तराखंड रुद्रप्रयागThe route connecting the three Kedars becoming popular

उत्तराखंड: ट्रेकर्स की पहली पसंद बना 3 केदारों को जोड़ने वाला रूट, चमत्कारी माना जाता है ये ट्रैक

मद्महेश्वर पांडवसेरा नंदीकुंड ट्रैकिंग रूट साहसिक पर्यटन की दृष्टि से ट्रैकरों को काफी पसंद आ रहा है। ये ट्रैक रूट प्रकृति की सुंदरता से भरपूर है। इस ट्रैक को एक चमत्कारी ट्रैक भी माना जाता है।

Route Connecting the Three Kedars: The route connecting the three Kedars becoming popular
Image: The route connecting the three Kedars becoming popular (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: पांडवसेरा मद्महेश्वर ट्रैक रूट मई महीने से लेकर नवंबर माह के मध्य तक ट्रैकिंग करने के लिए अनुकूल होता है। पांडवसेरा नंदीकुंड ट्रेक 18 हजार फीट की ऊंचाई से गुजरने वाला 78 किमी लंबा ट्रैक है। ट्रैकर पांडवसेरा तक इस रूट को लगभग चार दिन में तय कर पाते हैं। इस ट्रैक पर मौसम खराब होने पर बर्फबारी शुरु हो जाती है।

The route connecting the three Kedars becoming popular

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार केदारनाथ धाम में जब पांचों पांडवों को भगवान शंकर के पृष्ठ भाग के दर्शन हुए तो पांडवों ने द्रौपदी सहित मद्महेश्वर धाम होते हुए मोक्षधाम बदरीनाथ के लिए गमन किया। मद्महेश्वर धाम में पांचों पांंडवों ने अपने पूर्वजों के तर्पण दान किए, जिसके साक्ष्य आज भी एक शिला पर मौजूद हैं। मद्महेश्वर धाम से बद्रीनाथ की यात्रा करते समय पांचों पांडवों ने कुछ समय के लिए यहां निवास किया, जिस कारण ये स्थान पांडव सेरा के नाम से विख्यात हुआ। यहां पांडवों द्वारा निर्मित सिंचाई नहर हैं जिनमें जल प्रवाह निरन्तर होता रहता है।

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  • पांडव सेरा में आज भी उगती है पांडवों की धान

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    माना जाता है कि पांडव सेरा से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित नन्दीकुण्ड में स्नान करने से मानव का मन पवित्र हो जाता है। पांडव सेरा में आज भी पांडवों के अस्त्र-शस्त्र पूजे जाते हैं तथा पांडवों द्वारा सिंचित धान की फसल आज भी अपने आप यहां उगती है और पकने के बाद धरती के आंचल में समा जाती है।

  • स्थानीय लोग कराते हैं ट्रैक

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    मध्यमहेश्वर घाटी के उनियाणा-रांसी गांव के ट्रैकर पंकज पंवार और उमेद सिंह रावत अक्सर यात्रियों को लेकर इस ट्रैक पर जाते हैं। इन्होने राज्य समीक्षा से बातचीत में बताया कि ये ट्रैक माडरेट से हार्ड ट्रैक में आता है और इसे पूरा करने में लगभग 9 से 10 दिनों का समय लगता है। इस ट्रैक को रांसी से शुरू कर मद्महेश्वर होते हुए पांडव सेरा, नंदी कुंड, बैतरणी पहुंचा जाता है।

  • बैतरणी से जाते हैं दो ट्रैक

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    पंकज और उमेद बताते हैं कि बैतरणी से एक ट्रैक वंशीनारायण मंदिर की ओर जाता है, जहां से पंचम केदार कल्पेश्वर पहुंचा जाता है। बैतरणी से चार दिनों का दूसरा ट्रैक चतुर्थ केदार रुद्रनाथ को जाता है। रुद्रनाथ से उतरते समय एक दिन पुंग बुग्याल में रुकते हैं और फिर बेसकैंप सगर गांव उतर जाते हैं। जहां से पंचम केदार कल्पेश्वर पहुंचा जाता है। यदि आप इस ट्रैक के बारे में और अधिक जानकारी चाहते हैं तो आप इन लोगों से [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं।

  • जितना खूबसूरत उतना ही खतरनाक

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    ये ट्रैक जितना खूबसूरत है उतना ही खतरनाक भी है। ये ट्रैक किसी भी ट्रैकर की पूरी परीक्षा लेता है। बीते 4 अक्टूबर 2024 को भी 17 लोगों का एक ट्रैकिंग दल पांडव सेरा ट्रैक पर गया था। इनमें से चार सदस्यों की तबियत बिगड़ गई थी। जिसके बाद प्रशासन ने हेली से रेस्क्यू कर ट्रैकरों की जान बचाई।