देहरादून: कार्यक्रम के तहत छात्रों को अमेरिका में चल रही एक कार्यशाला से जोड़ा गया, जहां उन्हें वर्टिकल फार्मिंग के लाभ, तकनीक और भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी गई।
Dehradun Students Learn Farming Tricks From American Teachers
देहरादून के बीएस नेगी राजकीय इंटर कॉलेज गुजराड़ा के छात्र-छात्राओं को वर्टिकल फार्मिंग की आधुनिक तकनीकों से परिचित कराया गया। इस सत्र में अमेरिका के विशेषज्ञों ने वर्चुअल माध्यम से प्रशिक्षण दिया, जिसमें छात्रों ने वर्टिकल फार्मिंग के विभिन्न पहलुओं को समझा। कार्यक्रम का आयोजन नवोन्मेषी शोध एवं विकास कार्यक्रम के तहत किया गया था, जिसका उद्देश्य छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा देना और उनके कौशल का विकास करना है। अमेरिका में चल रही कार्यशाला से जोड़कर बच्चों को नई कृषि तकनीकें सिखाई गईं, जिससे वे भविष्य के लिए बेहतर तैयार हो सकें।
वर्टिकल फार्मिंग पर छात्रों को प्रशिक्षण
बीएस नेगी राजकीय इंटर कॉलेज गुजराड़ा में ग्रीन टेक रिसर्च एंड सस्टेनेबिलिटी प्रोग्राम (ग्रेस्प) के तहत एक शोध केंद्र की स्थापना की गई, जिसका उद्घाटन प्रधानाचार्य अनिल कुमार रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस कार्यशाला में अमेरिका के विशेषज्ञों ने छात्र-छात्राओं को वर्टिकल फार्मिंग की तकनीक सिखाई, जिसमें घरों की दीवारों पर छोटे गमलों के माध्यम से खेती की जा सकती है।
भारत में बढ़ रही है वर्टिकल फार्मिंग की लोकप्रियता
भारत में भी वर्टिकल फार्मिंग तकनीक की शुरुआत हो रही है, जिसे भविष्य में भूमि की कमी की समस्या से निपटने का एक कारगर उपाय माना जा रहा है। ग्रेस्प के विभागाध्यक्ष आर्यन शर्मा ने बताया कि यह तकनीक केवल फसलों की पैदावार के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण सुधार के लिए भी बेहद उपयोगी है। घरों की दीवारों पर खेती करने से गर्मियों में घर ठंडे रहते हैं और हवा में नमी बनी रहती है। इज़राइल जैसे देशों में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। कार्यशाला के दौरान जीव विज्ञान के प्रवक्ता जगदीश सिंह चौहान ने भी छात्रों के साथ इस तकनीक पर चर्चा की, जिसमें वर्टिकल फार्मिंग के पर्यावरणीय लाभों पर जोर दिया गया।