उत्तराखंड रुद्रप्रयागAnshul Negi Qualified IIT in First Attempt Without Coaching

Uttarakhand News: अगस्त्यमुनि के अंशुल नेगी का IIT में चयन, बिना कोचिंग पहले प्रयास में पाई सफलता

पहाड़ के युवा आज हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं उनकी यह उपलब्धि आने वाली युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी।

Anshul Negi: Anshul Negi Qualified IIT in First Attempt Without Coaching
Image: Anshul Negi Qualified IIT in First Attempt Without Coaching (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: छात्र अंशुल नेगी ने बिना किसी कोचिग के पहले की प्रयास में आईआईटी जैसे बड़े एग्जाम में सफलता पाई है, कड़ी मेहनत और लगन से उन्हें यह उपलब्धि हांसिल हुई है। अंशुल नेगी इस वर्ष बोर्ड की परीक्षा में प्रदेश में दूसरा स्थान पाया था। जो लोग खुद पर विश्वास करते हैं, वे ही सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं। ऐसा करके दिखाया है अगस्त्यमुनि के अंशुल नेगी ने इन्होंने बिना किसी कोचिंग के जेईई परीक्षा उत्तीर्ण की है। उनकी इस सफलता से उनके माता-पिता और पूरे क्षेत्रवासी गौरवान्वित हैं। जेईई एडवान्स के बाद उन्होंने दिल्ली आईआईटी में प्रवेश लिया है, वहां वे कंप्यूटर साइंस में बीटेक करेंगे। अंशुल ने कहा कि सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। कठोर अनुशासन, निरंतर पढ़ाई और समय का सही प्रबंधन सफलता का मूल मंत्र है।

उत्तराखंड बोर्ड में पाया था दूसरा स्थान

अंशुल नेगी ने इस वर्ष इण्टरमीडिएट की परीक्षा में 97 प्रतिशत अंक प्राप्त कर प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया था। उन्होंने बताया कि इण्टरमीडिएट की पढ़ाई के साथ-साथ जेईई की तैयारी भी की और इण्टर की परीक्षा के बाद जेईई मेन के पेपर दिए, जिसमें उन्हें सफलता मिली। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने जेईई एडवान्स की तैयारी में पूरे जोश के साथ जुट गए जिसका परिणाम उन्हें अब मिला है। उनकी इस सफलता पर उनके स्कूल की सभी शिक्षकों ने खुशी जाहिर करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

माता-पिता दोनों हैं शिक्षा विभाग में कार्यरत

अंशुल नेगी के पिता भरत सिंह नेगी सरकारी सेवा में लिपिक के पद पर कार्यरत हैं, जबकि उनकी माता शारदा देवी उसी विद्यालय में शिक्षिका हैं। वे मूल रूप से क्यूडी खडपतियाखाल के निवासी हैं और वर्तमान में गंगानगर अगस्त्यमुनि में रह रहे हैं। अंशुल के माता-पिता ने बताया कि वे हमेशा उसे अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित करते रहे हैं और बताया कि अंशुल बचपन से ही वैज्ञानिक बनकर देश सेवा का सपना देखता है। आईआईटी दिल्ली में प्रवेश प्राप्त कर उसने अपने सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा दिया है।