उत्तराखंड चमोलीHumkund sahib distance will be reduced by 7 kilometre

आसान होगी हेमकुंड साहिब यात्रा, पुलना से भ्यूंडार गांव तक सड़क निर्माण को मंजूरी

अब पुलना से भ्यूंडार गांव तक सात किमी सड़क बनाने की मंजूरी मिल गई है। इससे यात्री एक दिन में हेमकुंड साहिब के दर्शन कर वापस लौट सकेंगे।

Humkund sahib road construction : Humkund sahib distance will be reduced by 7 kilometre
Image: Humkund sahib distance will be reduced by 7 kilometre (Source: Social Media)

चमोली: प्रसिद्ध तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा को आसान बनाने के लिए यात्रा मार्ग पर पुलना से भ्यूंडार गांव तक सड़क बनाई जाएगी।

Humkund sahib distance will be reduced by 7 kilometre

सड़क निर्माण के प्रस्ताव को केंद्र सरकार की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। सड़क निर्माण होने के बाद यात्रियों को सिर्फ आठ किमी पैदल चलना पड़ेगा और वह एक दिन में हेमकुंड साहिब के दर्शन कर लौट सकेंगे। इस तरह आने वाले वक्त में तीर्थयात्रा की पैदल दूरी जल्द सात किलोमीटर और कम हो जाएगी। इतना ही नहीं भ्यूंडार तक सड़क निर्माण होने से फूलों की घाटी का पैदल रास्ता भी मात्र पांच किमी रह जाएगा, जबकि अभी तक घाटी तक पहुंचने को पर्यटकों को 12 किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती थी। बदरीनाथ हाईवे पर स्थित गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब की दूरी 20 किमी है। तीर्थयात्री शुरुआत के पांच किमी स्थित पुलना गांव तक वाहन से पहुंचते हैं, जबकि हेमकुंड तक पहुंचने के लिए 15 किमी पैदल चलना पड़ता है।

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पुलना से घांघरिया तक 9 किमी और घांघरिया से हेमकुंड तक 6 किमी का विकट रास्ता है। इस आस्था पथ पर अधिकांश तीर्थयात्री घोड़े से आवाजाही करते हैं। ऐसे में तीर्थयात्रियों को घांघरिया पड़ाव आने पर गुरुद्वारे में रात्रि विश्राम करना पड़ता है। इसके बाद अगले दिन वो हेमकुंड साहिब पहुंचते हैं। अब पुलना से भ्यूंडार गांव तक सात किमी सड़क की मंजूरी मिल गई है, जिससे तीर्थयात्रियों की पैदल दूरी कम हो जाएगी और वह एक ही दिन में हेमकुंड के दर्शन कर सकेंगे। जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना ने कहा कि भ्यूंडार गांव तक सड़क निर्माण के लिए केंद्र सरकार की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। सड़क निर्माण कार्य इसी वर्ष शुरू हो जाएगा। सड़क निर्माण से भ्यूंडार गांव के ग्रामीणों की आवाजाही भी सुगम होगी। अभी ग्रामीणों को पुलना तक सड़क तक पहुंचने के लिए सात किमी दूरी तय करनी पड़ती थी। यहां तारकोल की पक्की सड़क बनेगी।