देहरादून: क्या ऊर्जा निगम राजस्व वसूली के नाम पर सिर्फ गरीब बकायेदारों के ही बिजली कनेक्शन काटेगा? उत्तराखंड में इन दिनों जो हो रहा है, उसे देख हर किसी के मन में यही सवाल है।
Urja Nigam Disconnect Electricity Connection Of Poor Defaulters
ऊर्जा निगम ने बकायेदारों के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है, ये सही भी है। लेकिन विभाग करोड़ों के बकायेदारों पर कार्रवाई करने के बजाय सिर्फ छोटे बकायेदारों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। जिन औद्योगिक इकाइयों, स्टील फर्नेश कंपनियों, बिल्डरों, अस्पतालों और होटलों पर करोड़ों का बकाया है, वहां कनेक्शन काटने की हिम्मत नहीं दिखाई जा रही, लेकिन हजार-दो हजार रुपये के बकायेदारों के कनेक्शन झट से काट दिए जाते हैं। रुड़की, काशीपुर, कोटद्वार, सितारगंज, किच्छा, जसपुर, बाजपुर में जमकर बिजली चोरी हो रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियां पहले समय पर बिल नहीं देती। जब बकाया पांच से 20 करोड़ होता है, तो दबाव बनवा कर किश्तों में भुगतान की सुविधा ली जाती है। जीएसटी से पीछा छुड़ाने के लिए कंपनी का नाम बदल कर नया कनेक्शन ले लिया जाता है। कई कंपनियों पर बिजली चोरी के आरोप भी लगे हैं।
ये भी पढ़ें:
इस साल ऊर्जा निगम ने राजस्व वसूली का लक्ष्य दस हजार करोड़ के करीब रखा है। बात करें हरिद्वार की तो यहां एक स्टील कंपनी पर साढ़े पांच करोड़, दूसरी कंपनी पर चार करोड़ और तीसरी कंपनी पर 6.99 करोड़ का बकाया है। किच्छा में एक कंपनी पर 14.79 करोड़ का बकाया है। देहरादून के कई बिल्डरों पर पांच से लेकर दस लाख तक का बकाया है। इन पर कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन पिछले सत्र में देहरादून के नेहरू कॉलोनी में रहने वाले योगेंद्र रतूड़ी 1200 रुपये का बिल जमा कराने में एक दिन लेट हो गए तो उनका कनेक्शन काट दिया गया। अजबपुर खुर्द में जगतमणि बेलवाल पांच हजार का बिल नही जमा करा पाए, तो तत्काल कनेक्शन काट दिया गया। वहीं दूसरी ओर निदेशक ऑपरेशन ऊर्जा निगम एमआर आर्य ने कहा कि इस बार बकाये की वसूली में कोई रियायत नहीं दी जाएगी। एक तय समय के बाद भी यदि बिजली बिल का भुगतान नहीं होता, तो एक सिरे से कार्रवाई की जाएगी।