उत्तराखंड देहरादूनMovement for land law and original residence in Dehradun

Uttarakhand Land Law: जानिए..उत्तराखंड के लिए क्यों जरूरी है मजबूत भू कानून और मूल निवास, 24 दिसंबर को आंदोलन

Uttarakhand Land Law Movement युवाओं ने सशक्त भू कानून और मूल निवास की मांग जोरशोर से उठाई थी, अब यह मुद्दा फिर जोर पकड़ने लगा है।

Uttarakhand Land Law Movement: Movement for land law and original residence in Dehradun
Image: Movement for land law and original residence in Dehradun (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में लंबे वक्त से मजबूत भू कानून की जरूरत महसूस की जा रही है।

Movement for land law in Dehradun

बाहर के लोग यहां औने-पौने दाम में जमीनें खरीद कर यहां होटल-रिजॉर्ट बना रहे हैं और पहाड़ के युवा अपनी ही जमीनों पर बने होटलों में नौकरों की तरह काम करने को मजबूर हैं। पहाड़ से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर 24 दिसंबर को राजधानी देहरादून में भू कानून और मूल निवास स्वाभिमान रैली (Uttarakhand Land Law Movement) होने जा रही है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने खुद लोगों को इस रैली का हिस्सा बनने का निमंत्रण दिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान युवाओं ने सशक्त भू कानून और मूल निवास की मांग जोरशोर से उठाई थी, अब लोकसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा फिर जोर पकड़ने लगा है। 24 दिसंबर को होने वाली रैली को लेकर प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने भी वीडियो संदेश जारी कर अपनी बात कही है। उनके अलावा कई अन्य प्रमुख और आम लोग सोशल मीडिया के जरिये मूल निवास स्वाभिमान रैली के समर्थन में प्रचार अभियान चलाए हुए हैं। बता दें कि राज्य में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून लागू करने की मांग की जा रही है। यहां सबसे पहले साल 2002 में सरकार की तरफ से सावधान किया गया कि राज्य के भीतर अन्य राज्य के लोग सिर्फ 500 वर्ग मीटर की जमीन ही खरीद सकते हैं। साल 2007 में इस प्रावधान में एक संशोधन कर दिया गया और 500 वर्ग मीटर की जगह 250 वर्ग मीटर की जमीन खरीदने का मानक रखा गया। 6 अक्टूबर 2018 को बीजेपी की तत्कालीन सरकार इसमें संशोधन करते हुए नया अध्यादेश लाई। जिसमें उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि सुधार अधिनियम 1950 में संशोधन करके दो और धाराएं जोड़ी गई। इसमें धारा 143 और धारा 154 के तहत पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को ही समाप्त कर दिया गया। यानी राज्य के भीतर बाहरी लोग जितनी चाहे जमीन खरीद सकते हैं। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

राज्य सरकार की मंशा थी कि इस नियम में संशोधन करने के बाद राज्य में निवेश और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन अब सरकार के इस फैसले का विरोध होने लगा है। इसके साथ ही राज्य में मूल निवास की अनिवार्यता 1950 लागू करने की मांग की जा रही है। 1950 से राज्य में रह रहे लोगों को ही स्थाई निवासी माने जाने की मांग उठ रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इसे सराहनीय कदम बताया है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र सिंह नेगी एक जनकवि और उत्तराखंड के मशहूर लोग गायक हैं। उन्हें उत्तराखंड के दर्द का पता है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को गैर राजनीतिक होना चाहिए। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि जब वह सत्ता में थे तो उनकी सरकार में भू कानून और मूल निवास को लेकर जो बिल पेश हुआ था, वह मजबूत बिल था। अगर वह बिल लागू होता तो आज राज्य में इस तरह की मांग ना उठती। एक तरफ भू कानून और मूल निवास को लेकर महारैली की तैयारी चल रही है तो वहीं बीजेपी Uttarakhand Land Law Movement पर अपने बचाव के काम में जुटी है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला ने कहा कि मूल निवास और भू कानून को लेकर राज्य सरकार जल्द ही जनहित के निर्णय करेगी।