देहरादून: उत्तराखंड में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। कभी पिथौरागढ़ तो कभी उत्तरकाशी में धरती डोल रही है। उत्तराखंड भूकंप के अति संवेदनशील जोन पांच में आता है।
Uttarakhand Earthquake Zone 5 Districts
हिमालयी प्रदेशों में से एक उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से संवेदनशील राज्य है और यहां विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। यहां की कुछ जगहें भूकंप की दृष्टि से सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, कुमाऊं में कपकोट, धारचूला, मुनस्यारी भूकंप की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील हैं। इंडियन प्लेट में हिमालयन थ्रस्ट के जोड़ में गतिविधियां होना भूकंप की अहम वजह है। भूकंप में चट्टान के अपेक्षा मिट्टी वाले इलाकों में नुकसान अधिक होता है। इस लिहाज से ऊधमसिंहनगर के रुद्रपुर, काशीपुर, अल्मोड़ा, देहरादून, पौड़ी बेहद संवेदनशील हैं। कुमाऊं विवि भूगर्भ विज्ञान विभाग के डॉ. संतोष जोशी ने हिमालयी क्षेत्र में भूकंप की संवेदनशीलता पर शोध अध्ययन किया है।
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यह शोध पत्र जर्नल्स ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग में प्रकाशित भी हो चुका है। भूगर्भ विज्ञान विभाग ने पृथ्वी मंत्रालय के सहयोग से मुनस्यारी, तोली, भराणीसैंण चमोली, चंपावत के सुयालखर्क, कालखेत, धौलछीना, मासी, देवाल, फरसाली कपकोट, पांगला पिथौरागढ़, कुमइया चौड़ पिथौरागढ़ समेत 12 स्थानों पर भूकंपमापी यंत्र स्थापित किए हैं। अध्ययन के अनुसार छह अप्रैल 2005 से दस जनवरी 2017 तक 58 भूकंप का अध्ययन किया गया है। 2017 के बाद भी एक दर्जन से अधिक छोटे भूकंप रिकॉर्ड किये गए हैं। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच में भूगर्भ में तनाव की स्थिति लगातार बनी है। प्रदेश के अति संवेदनशील जोन पांच में रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग ), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं, जबकि ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं। देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। पिछले रिकॉर्ड भी देखें तो अति संवेदनशील जिलों में ही सबसे अधिक भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं। वैज्ञानिकों ने ये भी कहा है कि बार-बार आ रहे हल्के झटकों से बड़े भूकंप के आने का खतरा भी बना हुआ है, लेकिन यह कब आएगा, इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता।