उत्तराखंड देहरादून36 new roads will be built in 6 districts of Uttarakhand

उत्तराखंड के 6 जिलों में बनाई जाएंगी 36 नई सड़कें, सरकार ने दिया ग्रीन सिग्नल

Uttarakhand 36 New Roads मेरा गांव मेरी सड़क योजना के तहत प्रदेश के इन गांवों में बनेंगी 36 सड़कें, पढ़िए पूरी खबर

Uttarakhand 36 New Roads: 36 new roads will be built in 6 districts of Uttarakhand
Image: 36 new roads will be built in 6 districts of Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में भले ही विकास के बड़े-बड़े दावे किए गए हों मगर असलियत तो यह है कि उत्तराखंड के कई गांवों में आज तक लोगों को एक पक्की सड़क तक नसीब नहीं हुई है।

36 new roads to built in 6 districts of Uttarakhand

ऐसे में सरकार की एक अनूठी पहल के तहत उत्तराखंड के कई दूरस्थ गांव तक सड़क पहुंचाई जाएगी। जी हां, उत्तराखंड के 6 जिलों में 'मेरा गांव मेरी सड़क योजना' के अंतर्गत 36 सड़कें बनाई जाएंगी। गांवों की बेहतर कनेक्टिविटी और सुगम यातायात को लेकर उत्तराखंड की ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने इन सड़कों से संबंधित प्रस्तावों को स्वीकृति दे दी है। लोक निर्माण विभाग व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) की परिधि से बाहर के संपर्क विहीन गांवों को सड़क से जोड़ने की दिशा में सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। इसी के तहत यह मैंने लिया गया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आसानी हो। कैबिनेट मंत्री के अनुसार अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, देहरादून, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार व टिहरी में सड़कें बनना प्रस्तावित हैं। इनमें सर्वाधिक 21 सड़कें देहरादून जिले की हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना में मुख्य सड़क से एक किमी की दूरी पर स्थित संपर्क विहीन गांवों के लिए सड़क का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है।

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बता दें कि राज्य गठन के 22 साल बाद भी प्रदेश में छह हजार से अधिक गांवों में सड़क नहीं पहुंची है। हालत यह है कि 84 गांवों के लोग आज भी 10-10 किमी पैदल चलने को मजबूर हैं। इतना रास्ता नापने के बाद वे मोटर मार्ग तक पहुंच पाते हैं। प्रदेश में 5828 गांव आज भी शून्य से पांच किमी तक के फासले पर हैं। यह खुलासा ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग की दूसरी अंतरिम रिपोर्ट से हुआ है। आयोग ने प्रदेश के पलायन की जिन प्रमुख समस्याओं को जिम्मेदार माना है, उनमें सड़कें भी हैं। अच्छी सड़कों के अभाव में ग्रामीणों को स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होती हैं। इस कारण उन्हें पलायन करना पड़ रहा है, जहां आजीविका या रोजगार के साथ उन्हें अन्य सुविधाएं भी आसानी से मिल जाएं। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार की यह पहल काफ़ी मददगार साबित होगी।