उत्तराखंड देहरादूनNow Kailash Mansarovar will be seen from Uttarakhand

अब उत्तराखंड से कर सकेंगे कैलाश मानसरोवर के दर्शन, चीन-नेपाल जाने की जरूरत नहीं

Uttarakhand Kailash Mansarovar Darshan ओल्ड लिपु सड़क से कैलास मानसरोवर दर्शन कराने की कवायद प्रारंभ होने लगी है।

Uttarakhand Kailash Mansarovar Darshan: Now Kailash Mansarovar will be seen from Uttarakhand
Image: Now Kailash Mansarovar will be seen from Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: अगर आप भी कैलाश मानसरोवर के दर्शन करना चाहते हैं मगर आपके पास में पासपोर्ट नहीं है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है

Kailash Mansarovar will be seen from Uttarakhand

क्योंकि अब भारत से ही कैलाश मानसरोवर के दर्शन हो सकते हैं जी हां यह मुमकिन है। दरअसल ओल्ड लिपु सड़क से कैलास मानसरोवर दर्शन कराने की कवायद प्रारंभ होने लगी है। चुनपानी से ओल्ड लिपु तक पैदल मार्ग का निर्माण प्रारंभ हो चुका है। जल्द ही व्यू प्वाइंट भी बन जाएगा। सब कुछ ठीकठाक रहा तो मध्य अक्टूबर के पास भारत से ही हिंदुओं के सबसे बड़े तीर्थ के दर्शन होने लगेंगे और देशभर के शिवभक्त धारचूला होते हुए ओल्ड लिपु पहुंच कर कैलाश के दर्शन कर सकेंगे। दरअसल लिपुलेख मार्ग पर नाबीढांग के निकट चुनपानी से लगभग डेढ़ से दो किमी की चढ़ाई चढ़कर 18 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ओल्ड लिपु से कैलास मानसरोवर के दर्शन होते है। पहले कैलाश की यात्रा के लिए चीन या नेपाल जाना पड़ता था मगर अब भारत से ही इसके दर्शन हो जाएंगे जो कि यात्रियों के लिए एक अच्छी खबर है। आगे पढ़िए

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बिना वीजा, पासपोर्ट और चीन की अनुमति के ही शिवभक्त कैलास के दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए कवायद प्रारंभ हो चुकी है। चुनपानी से ओल्ड लिपु तक पैदल मार्ग निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इसके लिए कैलाश मानसरोवर का एक व्यू पॉइंट तैयार किया जाएगा। चुनपानी से ओल्ड लिपु तक लगभग डेढ़ से दो किमी के बीच पैदल मार्ग निर्माण किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि जल्द पैदल मार्ग तैयार हो जाएगा। अक्टूबर तक यह तैयार हो जाएगा। इससे पिथौरागढ़ से ही कैलाश पर्वत के दर्शन हो सकेंगे। इससे लोगों को कैलाश पर्वत के दर्शन (Kailash Mansarovar Darshan) करने में आसानी होगी बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा और वहां पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा जिससे वह एक पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित होगा और उत्तराखंड के पर्यटन को नई उड़ान भी मिलेगी।