देहरादून: उत्तराखंड एक बार फिर प्रकृति के रौद्र रूप का सामना कर रहा है। भारी बारिश के चलते सड़कें भूस्खलन की भेंट चढ़ गई हैं। सैकड़ों गांव अलग-थलग पड़ गए हैं।
Heavy rain in Jaunsar Bawar
जौनसार-बावर क्षेत्र में भी बारिश के चलते जमकर तबाही हुई है। त्यूणी में जगह-जगह पहाड़ दरकने से कई मकानों पर खतरा मंडरा रहा है। अनहोनी की आशंका को देखते हुए आपदा की जद में आए कुछ मकान खाली करा दिए गए हैं। यहां कई किसान भूस्खलन से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। किसानों के खेत, नकदी फसलें और फलदार पेड़ मलबे की भेंट चढ़ गए। कई ग्रामीणों की गोशाला और छानियां भी मलबे में दब गईं। आपदा से पीड़ित ग्रामीणों ने सरकार से आर्थिक मदद मांगी है। यहां सैकड़ों ग्रामीण आपदा से प्रभावित हुए हैं। सीमांत भूठ पंचायत, बगूर, हरटाड़-छजाड़, चौसाल, मलेथा समेत आसपास के अन्य गांवों में कई किसानों की पुश्तैनी उपजाऊ कृषि भूमि और सेब के बगीचे प्राकृतिक आपदा ने लील लिए हैं।
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हरटाड़-छजाड़-भूठ मार्ग पर सड़क की सुरक्षा दीवार क्षतिग्रस्त होने से भूठ निवासी पान सिंह व अरविंद सिंह के दो मकानों को खतरा हो गया है। पान सिंह के मकान को खाली करा दिया गया है। वहीं रीना देवी नाम की महिला का मकान भी मलबे की चपेट में आकर ढहने की कगार पर पहुंच गया है। मकान का बरामदा, कमरे की दीवार चटक गई है। पास में रहने वाले महिमानंद की गोशाला भी मलबा आने से दब गई। सेब के बगीचों को भूस्खलन से भारी नुकसान पहुंचा है। त्यूणी व चकराता तहसील से जुड़े कई गांवों में सैकड़ों किसानों की कृषि उपजाऊ भूमि फसल सहित मलबे में दब गई। नकदी फसलें भी तबाह हो गईं। सड़कों के साथ-साथ पेयजल लाइनें भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। प्रशासन की टीम आपदा से निजी व सार्वजनिक परिसंपतियों को हुए नुकसान का आकलन कर रही है। उधर, प्रभावित ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से उचित मुआवजा देने की मांग की है, ताकि उनके नुकसान की भरपाई हो सके।